ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए नई रणनीति पर काम कर रहे हैं | Jyotiraditya Scindia latest

Bhopal Samachar
भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब राजनीति की चालें सीख गए हैं और 'महाराज नाराज हुए' या 'महाराज खुश हुए' के दायरे से बाहर निकलकर दिग्विजय सिंह व कमलनाथ जैसे जमे हुए नेताओं की तरह गुटबाजी की गोटियां जमा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष पद का ऐलान भले ही टल गया हो परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया की लॉबिंग लगातार जारी हैै। वो एक नई रणनीति के साथ काम कर रहे हैं। इस बार वो खुद के गुट को नहीं बल्कि खुद को सर्वमान्य व सर्वस्वीकार्य बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। 

अब तक क्या हुआ है

मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रदेश में सरकार बनने के बाद कई बार पीसीसी अध्यक्ष पद से मुक्त होने की पेशकश की है, जिससे नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राज्य में सियासी दांव-पेंच लगातार जारी हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुट से कई नाम सामने आ रहे हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। जब सिंधिया ने अपना दावा पूरी ताकत के साथ पेश किया तो स्थिति को तनावपूर्ण बनाने के लिए बाला बच्चन, जीतू पटवारी, उमंग सिंघार, अजय सिंह, रामनिवास रावत जैसे नेताओं के नाम चर्चा में शामिल किए गए। अंत में सीएम कमलनाथ दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मिले और अध्यक्ष पद का ऐलान टलवा दिया। 

दिग्विजय सिंह गुट के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह से रिश्ते बेहतर किए

सिंधिया ने स्वयं आधिकारिक तौर पर कभी पीसीसी अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी को हवा नहीं दी, लेकिन कुछ समय से उन्होंने अपनी रणनीति बदल दी है। एक समय उनके घोर विरोधी रहे मंत्री डॉ. गोविंद सिंह से अब उनके रिश्ते बेहतर होते जा रहे हैं। पिछले दिनों जब डॉ. सिंह के खिलाफ सिंधिया समर्थक विधायकों ने बयानबाजी की थी तो सिंधिया से दिल्ली में मुलाकात कर शिकायत की और उन्होंने विधायकों को समझाइश देकर डॉ. सिंह के खिलाफ बयानबाजी बंद करवाई। अभी वे अपने भिंड प्रवास पर जाने वाले हैं, जिसमें उनके मंत्री के निवास पर मुलाकात का कार्यक्रम तय है।

दिग्विजय सिंह समर्थक अशोक सिंह के नाम पर लगातार सहमति

इसी तरह दिग्विजय सिंह समर्थक ग्वालियर के अशोक सिंह की अपेक्स बैंक में प्रशासक के रूप नियुक्ति पर भी सिंधिया ने सहमति देने में देरी नहीं की। वे अपने समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के यहां आयोजित डिनर पार्टी से मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ मीटिंग करने पहुंचे और वहीं उन्होंने सीएम के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी। हालांकि इसके पहले अशोक सिंह को लोकसभा टिकट दिलाने में भी सिंधिया से नेतृत्व की ओर से राय-मशविरा लिया गया था और तब भी उनकी सहमति से टिकट दिया गया था।

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट के नेताओं को महत्व दे रहे हैं

सिंधिया के नए सियासी दांव में देखने में आया है कि उनके हाल के दौरों में हर गुट के नेता से वे मुलाकात करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें वे ध्यान रखते हैं कि एक बार अपने समर्थक से न मिलें, लेकिन दूसरे खेमे के नेताओं से जरूर भेंट करें। इंदौर में मप्र क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के पहले वे अपने समर्थक नेताओं के बजाय विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, विनय बाकलीवाल, पंकज संघवी के घर जरूर गए। किसी के यहां सिंधिया ने सुबह का खाना खाया तो किसी के घर नाश्ता किया।
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