छठ पूजा / Chhath Puja 2019: छठ पर्व 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक चलेगा। छठी मइया (Chhathi Maiya) को अर्घ्य देने के लिए भक्त 2 नवंबर की शाम पानी में उतरेंगे। इसके बाद 3 नवंबर की सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ पूजा (Chhath Puja) का समापन किया जाएगा।
कार्तिक मास की षष्टी को छठ (Chhath) मनाई जाती है। छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया (Sasthi Maiya) को बिहार में आसान भाषा में छठी मइया (Chhathi Maiya) कहकर पुकारते हैं। मान्यता है कि छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं। इसीलिए लोग सूर्य को अर्घ्य देकर छठ मैया को प्रसन्न करते हैं। वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है। छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है। खासकर वो जोड़े जिन्हें संतान का प्राप्ति नही हुई। वो छठ का व्रत (Chhath Vrat) रखते हैं, बाकि सभी अपने बच्चों की सुख-शांति के लिए छठ मनाते हैं।
छठ पर्व (Chhath Parv) की शुरुआत नहाए-खाए (Nahay Khay) से 31 अक्टूबर से होगी, इसके बाद 1 नवंबर को खरना या लोहंडा (Kharna or lohanda) मनाया जाएगा। इस दिन बेहद ही स्वादिष्ट गन्ने की रस की खीर बनाई जाती है। इसके बाद प्रसाद के भरी बांस की टोकरी जिसे दउरा या दौरा भी कहा जाता है।
31 अक्टूबर - नहाय-खाय
1 नवंबर - खरना
2 नवंबर - शाम का अर्घ्य
3 नवंबर - सुबह का अर्घ्य
पहला अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त (Chhath Puja Muhurat)
छठ पूजा के दिन सूर्योदय - 2 नवंबर, 06:33 AM
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त - 2 नवंबर, 05:36 PM