इन दिनों जब लाखों युवा अपने पिता और दादाजी का सम्मान तक नहीं करते, प्रयागराज के अनुपम मिश्रा ने 15 लाख सालाना वाली साफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब केवल इसलिए छोड़ दी क्योंकि उसे पता चला कि उसके दादाजी चाहते थे कि वो डिप्टी कलेक्टर बने। तैयारी शुरू की, पहले प्रयास में बिफल हो गया लेकिन हार नहीं मानी।
साफ्टवेयर इंजीनियर बन गया था, अच्छी नौकरी भी मिल गई थी
पुलिस विभाग में कार्यरत दादा स्वर्गीय त्रियुगी का सपना था कि उनका सबसे दुलारा पोता बड़ा होकर डिप्टी कलेक्टर बने। बचपन में अनुपम को दादा के सपनों और डिप्टी कलेक्टर का कोई ज्ञान नहीं था। इसलिए वह सिर्फ अपनी पढ़ाई पर फोकस किए हुए थे। बड़े होकर वह एमएनएनआईटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करके अमेरिकन कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर ली। 15 लाख के सालाना पैकेज पर नौकरी करने वाले अनुपम ने चार साल तक वहां काम किया। वर्ष 2016 में मल्टीनेशनल कंपनी क्रोनोज से इस्तीफा देकर दादा का सपना साकार करने की मुहिम में जुट गए। कंपनी ने उन्हें 30 लाख तक का पैकेज आफर किया लेकिन उन्हें इस पैकेज से बड़ा अपने दादा का सपना लगा। वह नहीं माने और नौकरी छोड़कर घर लौट आए।
पहली बार में चूक गया था लेकिन हारा नहीं
यहां उन्होंने अपनी तैयारी शुरू की। सिविल सेवा परीक्षा में पहली बार शामिल हुए, जिसमें वह मेंस तक गए लेकिन एक नंबर की वजह से वह चूक गए। फिर पीसीएस 2017 की परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल कर न केवल अपने दादा के सपनों को साकार किया, बल्कि अपने मां-बाप की मेहनत और त्याग को भी सार्थक कर दिया। गुरुवार शाम को जब रिजल्ट में उनके एसडीएम बनने की खबर आई तो चौतरफा खुशी की लहर दौड़ गई। बधाई देने वालों का ताता लग गया, जो देर रात तक चलता रहा।