इंदौर। नगर निगम के कमिश्नर आशीष सिंह ने दीपावली के ठीक पहले 26 अस्थाई कर्मचारियों की सेवाएं एक साथ समाप्त कर दी। कमिश्नर आशीष सिंह ने सभी को लापरवाही एवं आदेश की अवहेलना का दोषी बताया है। स्वच्छता के नाम पर केवल 26 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई बल्कि उनका चालू माह का वेतन भी रोक लिया गया।
निगम कमिश्नर आशीष सिंह ने रविवार को दीपावली से पहले शुक्रवार को यह आदेश हस्ताक्षर किए। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अपर आयुक्त रजनीश कसेरा ने जोन नंबर 11 के वार्ड क्रमांक 48, 49 व 54 के आकस्मिक निरीक्षण में पाया था कि 26 अस्थाई/अतिरिक्त दैनिक वेतनभोगी सफाई श्रमिक बिना सूचना, स्वीकृति के अनुपस्थित थे, जबकि इन्होंने बायोमेट्रिक मशीन पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इनकी अनुपस्थिति से क्षेत्र में सफाई कार्य प्रभावित हो रहा था। इस पर निगमायुक्त आशीष सिंह ने 26 अस्थाई व अतिरिक्त दैनिक वेतनभोगी सफाई श्रमिकों को कार्यमुक्त करते हुए उनके पारिश्रमिक भुगतान पर रोक लगा दी।
न नोटिस न सुनवाई का मौका डायरेक्ट टर्मिनेट
आशीष सिंह नगर निगम को किसी प्राइवेट दुकान की तरह चलाते नजर आ रहे हैं। जिन सफाई कर्मियों के दम पर इंदौर स्वच्छता में देशभर में नंबर वन हुआ उन सफाई कर्मचारियों को अब तक स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ भी नहीं दिया गया है। पिछले दिनों भरी मीटिंग में आशीष सिंह ने एक कर्मचारी को मुंह तोड़ देने की धमकी दी थी। कार्मिक नियमों के अनुसार किसी भी कर्मचारी की सेवा समाप्त करने से पहले उसे नोटिस और अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट भी इस संदर्भ में आदेश जारी कर चुका है। सीएम कमलनाथ ने भी ऐलान किया था कि किसी भी कर्मचारी को अचानक सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके न केवल 26 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई बल्कि त्योहार से पहले उनका वेतन भी रोक लिया गया।