भोपाल। देश का सबसे साफ-सथुरा स्टेशन जयपुर जंक्शन (Jaipur Junction) है। भोपाल स्टेशन (Bhopal station) इससे 335 और हबीबगंज (Habibganj) 339 पायदान नीचे है। एक श्रेणी के स्टेशन, यात्रियों की संख्या लगभग समान होने के बाद भी स्वच्छता में भोपाल के इतना पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह है बजट की कमी। पांच प्लेटफार्म वाले जयपुर स्टेशन में तीन पालियों में 243 सफाई कर्मचारी काम करते हैं, जबकि भोपाल स्टेशन में तीनों पालियों में सिर्फ 90 कर्मचारी ही काम करते हैं।
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने करीब दो महीने पहले देश के छोटे-बड़े 720 स्टेशनों का सर्वे किया था। इस आधार पर बुधवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने स्वच्छता रैंकिंग जारी की थी। इसके बाद 'नवदुनिया' ने जयपुर मंडल के रेलवे के अधिकारियों से यह जानने की कोशिश की है कि नंबर एक पर आने के लिए उन्होंने क्या प्रयास किए। इसके मुकाबले भोपाल सफाई में क्यों पिछड़ा है। जयपुर के अधिकारियों ने बताया सभी प्लेटफार्मों की सफाई के लिए राइडऑन व मोपिंग मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। भोपाल में यह राइडऑन मशीन एक भी नहीं है।
जयपुर के मुकाबले भोपाल इस कारण पीछे
जयपुर स्टेशन से 192 गाड़ियों का संचालन होता है, जबकि भोपाल स्टेशन से सिर्फ 130 । ज्यादा ट्रेनें होने के बाद भी जयपुर स्टेशन ज्यादा साफ है। वजह, 41 ट्रेनें जयपुर से ही शुरू होती हैं। शुरुआती ट्रेनों में यात्री वहीं से बैठते हैं, जिससे गंदगी कम होती है।
जयपुर स्टेशन पर सफाई के लिए हर महीने करीब 70 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जबकि भोपाल स्टेशन हर महीने करीब 10 लाख रुपए ही खर्च किए जा रहे हैं। जयपुर में तीन पाली में 243 सफाईकर्मी काम करते हैं। भोपाल में सिर्फ 90 कर्मचारी हैं।
जयपुर के रेल अफसरों ने कहा कि जयपुर में आने वाले यात्रियों में कुछ पर्यटक भी होते हैं। वह गंदगी नहीं करते। उल्टा दूसरों को भी जागरूक करते हैं। भोपाल स्टेशन होकर लंबी दूरी की गाड़ियां निकलती हैं। यात्रियों का स्तर भी अलग है।
निगरानीः
जयपुर में सीसीटीवी व वाट्सअप ग्रुप के जरिए सफाई व्यवस्था की निगरानी की जाती है। स्टेशन पर पांच स्वास्थ्य निरीक्षकों की टीम निगरानी करती है, जबकि भोपाल में सिर्फ चार स्वास्थ्य निरीक्षक ही हैं।
सूखा व गीला कचरा अलग-अलगः
जयपुर में सभी प्लेटफार्म पर सूखा व गीला कचरा के लिए अलग-अलग डस्टबिन लगाए गए हैं। भोपाल स्टेशन पर सिर्फ एक तरह के स्टील के डस्टबिन लगे हैं।
जुर्मानाः
जयपुर में गंदगी करने पर हर दिन 25 से 30 यात्रियों पर जुर्माना लगाया जाता है, भोपाल में औसतन 18 से 20 यात्रियों पर ही जुर्माना किया जा रहा है।
ड्रेनेज सिस्टमः
जयपुर स्टेशन पर वॉशिंग एप्रन नए हैं। ड्रेनेज की नालियों में टाइल्स लगी हैं, जिससे सफाई बेहतर हो जाती है। इसके उलट भोपाल स्टेशन की नालियां काफी पुरानी व संकरी होने से हमेशा बंद रहती हैं। गंदे पानी की निकासी नहीं हो पाती।
रिसाइकिल प्लांटः
जयपुर में गंदे पानी की रिसाइकिलिंग की जाती है। भोपाल स्टेशन पर सफाई में उपयोग होने वाले पानी को रिसाइकिल करने की व्यवस्था दो साल से बंद थी, जो दो महीने पहले शुरू हुई है।
यात्रियों की संख्याः
जयपुर स्टेशन पर रोजाना आने-जाने वालों की संख्या 1 लाख 10 हजार है, जबकि भोपाल में 70 हजार यात्री आते-जाते हैं।
हम जयपुर की तरह स्वच्छ नहीं हो सकते: DRM
जयपुर और भोपाल स्टेशन में काफी फर्क है। वहां के यात्री सफाई के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। भोपाल स्टेशन पुराना होने के चलते भी सफाई में कुछ दिक्कत आती है। सफाई कर्मचारी भी वहां के मुकाबले कम है।
उदय वोरवणकर, डीआरएम, भोपाल