प्राध्यापकों के फर्जीवाड़े की फाइल उच्च शिक्षा विभाग में दबी है | JABALPUR NEWS

जबलपुर। जिले के अनुदान प्राप्त कॉलेजों में पदस्थ प्राध्यापकों ने वेतनवृद्घि का लाभ लेने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। उच्च शिक्षा विभाग को जब कुछ प्राध्यापकों की शिकायत मिली तो जांच शुरू हुई। एक-दो नहीं दर्जनभर से ज्यादा मामले ऐसे मिले जिनमें दस्तावेज संदिग्ध मिले। जिले के अग्रणी महाकोशल कॉलेज ने इस संबंध में जांच की। सभी प्राध्यापकों के दस्तावेज विभाग को भेजे गए। 

सेमिनार 3 दिन का था, प्रमाण पत्र 21 दिन का लगा दिया

दरअसल एक अनुदान प्राप्त कॉलेज की महिला प्राध्यापक के खिलाफ फर्जी दस्तावेज के आधार पर क्रमोन्नति का लाभ लेने का आरोप लगा। जांच शुरू हुई। महिला प्राध्यापक ने 21 दिन का सेमीनार में हिस्सा लेने का दावा सर्विस बुक में किया। इसी के आधार पर लाभ भी लिया। जांच में पता चला कि सेमीनार सिर्फ 3 दिन ही चला। 

सेमिनार हुआ ही नहीं, प्रमाण पत्र लगा दिया

इसी तरह पीएमएम कॉलेज में एक सेमिनार होने का प्रमाण-पत्र लगाया गया। जांच हुई तो पता चला कि संस्था में ऐसा कोई सेमिनार आयोजित ही नहीं हुआ था। ये सिर्फ कुछ उदाहरण है इस तरह के कई मामले जांच के दौरान सामने आए। प्राध्यापकों के मामले में उनकी सर्विस बुक में दर्ज समस्त दस्तावेजों को बुलाकर विभाग के पास भेजा गया है।

जांच में दोषी पाए गए हैं, कार्रवाई उच्च शिक्षा मंत्री को करना है

अनुदान प्राप्त कॉलेजों में प्राध्यापकों को ऐसे लाभ मिले जिसकी पात्रता उनके द्वारा नहीं रखी गई। इस संबंध में विभाग ने समिति बनाई। वरिष्ठ प्रवर वेतनमान की समिति ने जांच में पाया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ लिया गया है। फिलहाल जिले से रिपोर्ट बुलाकर उच्च शिक्षा विभाग को भेजी जा चुकी है। अब कार्यवाही का फैसला उच्च शिक्षा विभाग को करना है। 

आधिकारिक बयान

अनुदान प्राप्त कॉलेजों में प्राध्यापकों से जुड़े दस्तावेजों को बुलाकर उसे विभाग को भेजा गया है। कुछ मामले संदिग्ध थे। इस संबंध में कार्यवाही विभाग को तय करनी है।
एस सैम्युअल, प्राचार्य, शासकीय महाकोशल कॉलेज
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