श्रीमान, मैं आपके माध्यम से राज्य शासन और म.प्र. के शिक्षक समुदाय का ध्यान उस बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं जो दोनों के ज्ञान में है पर दोनों ही अन्जान बने होने का नाटक कर रहे हैं।जैसा कि सब को पता है इन दिनों म.प्र. में शिक्षकों सहित सभी कर्मचारियों के स्थानांतरण के बहुप्रतीक्षित नाटक का मंचन चल रहा है।
भ्रष्टाचार के लिए नियम बदले गए
इसकी शुरुआत में ऑनलाइन-ऑफलाइन का विवाद हुआ क्योंकि एक अनार और सौ बीमार मौजूद थे। मंत्रियों का कहना था कि स्थानांतरण ऑफलाइन किये जायें ताकि वो शिक्षकों का भला अपने हाथों से चुन-चुन कर कर पाएं पर विभाग के अधिकारियों का क्या वो मलाई खत्म होते हुए देखते रहें, अब इसका हल ये निकाला गया कि ऑनलाइन ही होंगे पर प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर होंगे तथा पोर्टल पर सूचियां निकाली जाएंगी। बाद में ध्यान आया कि सूची पोर्टल पर डाल दी तो अपनी-अपनी सोने की मुर्गियों को कैसे काटा जा सकेगा अंततः तय किया गया कि व्यक्तिगत आदेश ही निकाले जाएंगे और आदेश की कॉपी केवल उस कर्मचारी को एम शिक्षा मित्र एप पर भेजी जाएगी जिसका स्थानांतरण होगा।
ये कैसी सरकार है, न्याय की उम्मीद तक नहीं
अब स्थिति ये है कि जिन्होंने जेब गरम की है उनका स्थानांतरण उन की मनचाही जगहों पर हो रहा है। शासन ने स्थांतरण के लिए जो नियम बनाये वो खुद शासन ने ही भ्रष्टाचार के हवाले कर दिए। जो कर्मचारी वरिष्ठ थे, नियमानुसार वरीयता क्रम में आगे थे वो वहीं रह गए और अयोग्य कर्मचारियों के मनचाहे स्थानांतरण हो गए। शासन में बैठे मंत्री और अधिकारियों के अंदर तो ज़मीर बचा नहीं है और साथ में उन कर्मचारियों का ज़मीर भी मर चुका है जिन्होंने पैसा देकर दूसरे कर्मचारी के हक पर डाका डाल दिया है। हम कभी ये नहीं सोचते ये कैसी सरकारें है, कैसा लोकतंत्र है जहां न्याय की उम्मीद भी नहीं की जा सकती।
ऐसा नहीं है कि लोग गलत और सही की पहचान नहीं कर पाते। अगर ऐसा होता तो क्यो कोई मंत्री या अधिकारी अपने बच्चे को शाम को घर जाकर नहीं कहता "देख बेटा में आज एक जरूरत मंद का हक मार कर पैसा कमा कर लाया हूँ।" पर वो ही व्यक्ति 26 जनवरी और 15 अगस्त पर तिरंगे के आगे खड़े होकर देश भक्ति और जनसेवा की बात करता है, मंदिर में ईश्वर के आगे ऐसे खड़े होता है जैसे वह अपनी अंतरात्मा तक पवित्र है।
11 नंबर पर दर्ज कर्मचारी का तबादला कर दिया
खैर वर्तमान विषय में जो हो रहा है उसके लिए साक्ष्य के तौर पर एक स्थानांतरण आदेश की चर्चा करना चाहूंगा। यह आदेश नरसिहपुर जिले के शा.हाई स्कूल बढछोटा जिसका डाइस कोड 23400413603 का है। इस विद्यालय के लिए सामाजिक विज्ञान विषय से 12 शिक्षकों ने आवेदन भरा जिसमें वरिष्ठता के क्रम में 2003 की नियुक्ति वाली एक महिला कर्मचारी पहले स्थान पर थी परंतु वहां स्थानांतरण 2013 के पुरुष कर्मचारी का किया गया जिससे कि सूची में 10 लोग अधिक वरिष्ठ थे।
तबादले हो रहे हैं या अन्याय
ये तो एक उदाहरण है जब राज्य में 50000 शिक्षकों और कर्मचारियों के स्थानांतरण हो रहे है तो आप सोचिए किस हद तक अन्याय हो रहा होगा।अगर ऑनलाइन ट्रांसफर में ये हालात है तो सोचिये ऑफलाइन और प्रशासकीय स्थानांतरण में क्या हो रहा है।भृत्य जैसे कर्मचारियों से 30000-30000 हज़ार रुपये लेकर स्थानांतरण किये गए हैं।
सरकार न्याय नहीं देगी, आवाज उठानी होगी
अंत में चूंकि शासन खुद इस कार्य को कर रहा है तो उससे तो कोई उम्मीद करना बेकार है मेरा निवेदन तो शिक्षक वर्ग से है कृपया अपने ज़मीर को जगाइए और इस अन्याय और भ्रष्टाचार का खुल कर विरोध कीजिये वर्ना अपने घर पर और अपने विद्यालय में बच्चों को सच के मार्ग पर चलने और भ्रस्टाचार ना करने की झूठी सीख देना बंद कर दीजिए।
धन्यवाद