JABALPUR NEWS : ऐतिहासिक धरोहर को संवारने ओडिशा से कारीगर बुलवाए, लाखों खर्च किए, फिर भी नहीं हुआ सुधार

NEWS ROOM
जबलपुर। शहर की ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर और कमानिया (त्रिपुरी स्मारक) की अरसे से बंद घड़ियों को चालू कराने और रंग-रोगन में स्मार्ट सिटी ने करीब 67 लाख रुपए खर्च कर दिए। घड़ियां सही समय भी बताने लगीं, लेकिन दशकों पहले जिस तरह घंटाघर, कमानियां में लगे घंटे की गूंज से लोगों को बिना बताए ही समय का पता चल जाता था। वह गूंज अब भी सुनाई नहीं दे रही है। क्योंकि घंटाघर, कमानियां की घड़ियां सुधरने के बाद टिक-टिक कर समय तो बता रही हैं, लेकिन घंटा अब भी नहीं बज रहा है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत घंटाघर और कमानिया गेट की की अरसे से बंद पड़ी घड़ियों को सुधारने के लिए ओडिशा से कारीगर बुलवाए थे। कारीगरों ने घड़ियां सुधार दी। घंटाघर की चारों घड़ियां व कमानिया गेट में लगीं दो घड़ियां सही समय भी बताने लगी, लेकिन घंटे की गूंज के बिना घड़ियां अधूरी लग रही हैं।

घंटाघर को संवारने में 41 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। ऐतिहासिक इमारत होने के कारण इसका जीर्णोद्घार गोंद, बेल, चूना जैसी परंपरागत निर्माण सामग्री से किया गया। 26 लाख रुपए से कमानिया गेट का जीर्णोद्घार, रंगरोगन कराया गया।

शहर की कहावत से जुड़ीं है घंटे की 'गूंज'
विदित हो कि शहर ऐतिहासिक स्मारक घंटाघर की चार घड़ियों पर एक कहावत भी बनी है। जिसे सुनकर लोग पुराने दिनों को याद करते हैं। 'घंटाघर में चार घड़ी, चारों में जंजीर टंगी, जब-जब घंटा बजता है, खड़ा मुसाफिर हंसता है'। घड़ियों से घंटे की गूंज सुनाई न देने से लोगों को इसमें अब भी कुछ कमी लग रही है।
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!