अब बड़े कॉलेजों में बिना फीस के पढ़ाई करें, ISA EDUCATION SYSTEM

यदि आप किसी बड़े कॉलेज (FAMOUS COLLEGE) में पढ़ना चाहते हैं लेकिन FEES नहीं है तो चिंता ना करें। ISA EDUCATION SYSTEM शुरू हो रहा है। आप किसी भी बड़े कॉलेज में एडमिशन की पात्रता हासिल कर लें, फीस की चिंता छोड़ दें (COLLEGE STUDY WITHOUT FEES)। फीस आपको भरनी होगी परंतु, जॉब मिलने के बाद और हां, कॉलेज आपको प्लेसमेंट भी कराएगा। 

भारत में क्वॉलिटी एजुकेशन के लिए फाइनैंसिंग का नया मॉडल (NEW MODEL OF FINANCE FOR QUALITY EDUCATION) शुरू हो रहा है। इससे स्टूडेंट्स को शुरुआत में फीस नहीं देनी होगी और वे नौकरी (JOB) मिलने के बाद इसका भुगतान कर सकेंगे। इसे इनकम शेयर ऐग्रिमेंट (INCOME SHARE AGREEMENT) कहा जाता है। इसमें जॉब की अच्छी संभावना वाले कोर्सेज के लिए आसानी से कर्ज मिलता है और उधार देने वाले का जोखिम भी कम होता है। 

स्टूडेंट्स के साथ ही यह ऐसे इंस्टीट्यूट्स के लिए भी अच्छा है, जो स्पेशलाइज्ड स्किल्स से जुड़े कोर्सेज चलाते हैं। ISA की पेशकश करने वाले इंस्टीट्यूट्स आमतौर पर स्टूडेंट्स के लिए सही जॉब खोजने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं, जिससे कुल रिस्क भी घट जाता है। 

अमेरिका में ISA एजुकेशन बिजनस मॉडल के तौर पर लोकप्रिय हो रहा है। भारत में अभी यह शुरुआती दौर में है। कुछ स्टार्टअप्स स्पेशल स्किल्स वाले कोर्स के लिए इसकी पेशकश कर रहे हैं। कुछ इंस्टीट्यूट्स भी छात्रों को इसका विकल्प देने पर गौर कर रहे हैं। ईटी ने इस बारे में कुछ एजुकेशन एक्सपर्ट्स, स्टार्टअप फाउंडर्स और लॉ फर्मों से बात की। 
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लॉ फर्म सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर नागावल्ली जी ने बताया, 'ISA से इंस्टीट्यूट्स को ऐसे प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को ऐडमिशन देने में मदद मिलती है, जो कोर्स की फीस नहीं चुका सकते। इस लोन स्ट्रक्चर में इंस्टीट्यूट शामिल होते हैं और अच्छे प्लेसमेंट के वादे के कारण इसमें जोखिम कम है। यह कॉन्सेप्ट अभी शुरुआती चरण में है। कुछ इंस्टीट्यूट्स इसे अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह अधिकतर टेक्नॉलजी और स्पेशलाइज्ड कोर्सेज के लिए किया जा रहा है, जिनकी जॉब मार्केट को जरूरत है।' 

भारत में ISA मॉडल की पेशकश करने वाली स्टार्टअप्स में अटेनU, इंटरव्यूबिट, पेस्टो टेक और ऑल्टकैम्पस शामिल हैं। अटेनU कोर्स पूरा होने के बाद मिनिमम 5 लाख रुपये की ऐनुअल सैलरी (कॉस्ट-टु-कंपनी) का वादा कर रही है। अगर स्टूडेंट्स को इससे कम सैलरी वाली जॉब मिलती है तो उन्हें फीस नहीं चुकानी होती। प्लेसमेंट सफल रहने पर स्टूडेंट अपनी मंथली सैलरी के 15 पर्सेंट से कोर्स फीस का भुगतान करते हैं। 

अटेनU के फाउंडर सीईओ दिव्यम गोयल ने बताया, 'ISA बाद में फीस के भुगतान वाला मॉडल है, जो एंप्लॉयमेंट की शर्त से जुड़ा है। हम इस मॉडल पर तीन नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और फिनेटक कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं।' स्टूडेंट को तय लिमिट से अधिक सैलरी वाली जॉब मिलने पर स्टूडेंट, NBFC और अटेनU के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है। स्टूडेंट फीस की राशि NBFC को शून्य ब्याज दर पर चुकाता है। एक NBFC के एग्जिक्यूटिव ने बताया कि यह मॉडल इंटरेस्ट सबवेंशन बेस्ड पर्सनल लोन जैसा है। लॉ फर्म ट्राईलीगल के हेड (एंप्लॉयमेंट लॉ प्रैक्टिस) अजय राघवन ने कहा कि ISA एजुकेशन फाइनैंसिंग के विकल्पों को एक नया आयाम दे रहा है। 

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