इंदौर। लोगों की फरियाद सुनने के लिए पुलिस एक तरफ जनसुनवाई करती है। सोशल पुलिसिंग का सहारा लेती है, लेकिन दूसरी तरफ आपराधिक घटनाओं के पीड़िताें की थानाें में सुनवाई नहीं हो रही है। इसी कारण लोग सोशल मीडिया पर गुहार लगा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर घटना वायरल होते ही पुलिस हरकत में आकर कार्रवाई कर रही है। चार दिन में चार ऐसे मामले सामने आए। ताजा मामला दुबई में रहने वाले एनआरआई दंपती इंजीनियर सचिन कुशवाह और डॉ. दीपा सिंह कुशवाह का है। 78 लाख रुपए चुकाने के बाद भी टाउनशिप प्रबंधन द्वारा इन्हें प्लॉट नहीं दिया जा रहा है। चार साल से परेशान दंपती ने सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को ट्वीट कर न्याय मांगा। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें पुलिस ने थाने बुलाकर उनकी बात सुनी और पड़ताल शुरू कर दी।
दीपा ने बताया कि हमने 2015 में गांधीनगर क्षेत्र की एक टाउनशिप में 13 हजार वर्गफीट का प्लाॅट 70 लाख में खरीदा था। पूरे पैसे देने के बाद भी टाउनशिप प्रबंधन रजिस्ट्री नहीं कर रहा है। हर बार नए नियम बता देता है। अब तक 78 लाख दे दिए हैं। मैंने गांधीनगर थाने से लेकर सीएसपी, एसपी और एसएसपी तक से शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद सीएम को ट्वीट किया। इसके कुछ देर बाद ही उन्हें भोपाल और इंदौर से फोन आए। उन्हें गांधीनगर पुलिस ने बुलाया। सीएसपी सौम्या जैन का कहना है कि आला अफसरों से चर्चा के बाद जो भी उचित होगा कार्रवाई करेंगे। नहीं तो उन्हें कोर्ट की सलाह भी दी जाएगी। वहीं, टीआई एसएस बैस का कहना है कि वे दोनों पार्टियों की काउंसलिंग करवा चुके हैं। दोनों की अपनी-अपनी बातें हैं। इसलिए मुद्दा सुलझ नहीं पा रहा है। हमने उसे सिविल कोर्ट में जाने की राय भी दी है।
मुख्यमंत्रीजी, इंदौर पुलिस को बोलिए पीड़ा देखें; ताकि आपकी पोस्ट न देखनी पड़े : मुख्यमंत्री को ट्वीट हुआ तो एक एनआरआई की सुनवाई हुई। कैफे में छेड़छाड़ करने वालों की जगह पीड़िता के दोस्तों को ही अंदर कर देने वाली पुलिस ने पीएम को टैग किए वीडियो को देख 19 घंटे बाद एफआईआर की। पीड़ित की सुनने के बजाए उसे प्रताड़ित करने और सोशल मीडिया पर बात आई तो मामला दर्ज करने का यह सिलसिला जारी है। एक एनआरआई को भी पुलिस की इस ‘ऑनलाइन ओनली’ व्यवस्था का शिकार होना पड़ा। पुलिस के शीर्ष अफसरों को तत्काल इन सभी हाईटेक थानाधिकारियों को तलब कर इस चिंताजनक रवैये को खत्म करना चाहिए। अफसर इसमें असक्षम हों तो सीएम को इन्हें भोपाल बुला कर इनकी मंशा पूछनी चाहिए। इंदौर का हर पीड़ित सीएम को ट्वीट करे, पीएम को टैग करे तभी पुलिस को उसे सुनना चाहिए क्या?
ट्वीट, पोस्ट, मैसेज के बाद ही केस...
1. थैरेपिस्ट ने छेड़छाड़ का वीडियाे डाला, 19 घंटे बाद केस : 24 अगस्त : कैफ में फिजियोथैरेपिस्ट से 3 युवकों ने छेड़छाड़ की। युवती और उसके दोस्त थाने पहुंचे तो पुलिस ने दोस्तों को ही हवालात में डाल दिया। युवती ने इंस्टाग्राम पर घटना का वीडियो डाल दिया। 19 घंटे बाद केस दर्ज हो पाया।
2. एनआरआई-काराेबारी विवाद, सीएम काे ट्वीट तो सुनवाई : 23 अगस्त : साकेत नगर में बंगला खाली कराने को लेकर एनआरआई ऑर्किटेक्ट मनोज वर्गीस का लिमड़ी राजघराने से जुड़े कारोबारी शिवराज लिमड़ी से विवाद हुआ। एनआरआई ने सीएम को ट्वीट किया तो पुलिस हरकत में आई।
3. कांग्रेस नेता के भाई ने पीटा, मैसेज चला तो सुनवाई : 22 अगस्त : कमोडिटी व्यापारी भरत सिंघल का अपहरण व हमला करने वाले रानू अग्निहोत्री पर कार्रवाई नहीं हुई। एसआई ने सिर्फ फरियादी के बयान लिए। अगली सुबह सोशल मीडिया पर मैसेज चले तो एसपी ने केस दर्ज करवाया।