कश्मीर : द्वार खुले और दिखीं दरार | EDITORIAL by Rakesh Dubey

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार के मुखिया और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख के नागरिकों के सपने फिर जगा दिए है। सेना में भर्ती, छात्रवृत्ति, पर्यटन, रोजगार की अन्य सम्भावनायें सब गिना दिया। साथ ही वो सब भी जिससे अभी तक इस अंचल के लोग महरूम थे। कश्मीर के कई नेता नजरबंद हैं, आई ए एस से नेता बने शाह फैजल संघर्ष को अपना अंतिम हथियार बताकर लोगों से सहयोग मांग रहे हैं। सवाल यह है कि उनकी अपील कौन सुनेगा? देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी मदद करने की स्थिति में नहीं है | इधर सरकार ने कश्मीर के दरवाजे खोले और उधर कांग्रेस की दरारें खुल गईं।

जम्‍मू-कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा देने से संबंधित अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले पर कांग्रेस दो हिस्‍सों में बंट गई है| कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता डॉ कर्ण सिंह ने इस मसले पर सरकार के फैसले का समर्थन किया है | उन्‍होंने आर्टिकल 35A हटाने का भी समर्थन किया| उन्‍होंने सरकार के फैसले का स्‍वागत किया है| डॉ कर्ण सिंह कांग्रेस के नेता होने के साथ आज़ादी के समय कश्मीर के महाराजा रहे हरि सिंह के पुत्र हैं| उन्‍होंने कहा कि लद्दाख को केंद्रशासित क्षेत्र बनाया जाना स्‍वागतयोग्‍य कदम है| उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35A में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को दुरुस्‍त करने की जरूरत थी| उनकी मुख्य चिंता जम्‍मू-कश्‍मीर के सभी वर्गों और कल्याण की है| जिसके लिए प्रधानमंत्री ने 38 मिनिट का संदेश राष्ट्र के नाम जारी किया |

इस मुद्दे पर कांग्रेस साफ तौर पर दो खेमों में बंटी हुई दिखाई दे रही है| उसके सबसे बड़े नेता राहुल गांधी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनके ही सबसे करीबी और विश्वसनीय सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा में मतदान के समय एक ट्वीट कर बिल का समर्थन कर सभी को चौंका दिया था| सिंधिया से पहले मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा और हरियाणा में कांग्रेस के युवा चेहरे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी धारा 370 पर मोदी सरकार के समर्थन में खड़े दिखाई दिए। अगर कांग्रेस के इन युवा नेताओं के फैसले को देखे तो इसके पीछे की कहानी कुछ और ही नजर आती है। जैसे राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी के नए अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे है। ऐसे में क्या सिंधिया का बिल को समर्थन देना कांग्रेस की विचारधारा में परिवर्तन और भविष्य की राजनीति की रणनीति की ओर इशारा करता है। वैसे सिंधिया ने बिल के समर्थन में जो ट्वीट किया वह उनका एक सोचा समझा कदम है और यह बयान अब कांग्रेस में वैचारिक बदलाव की ओर भी इशारा करता है। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस बराबर अपने नेतृत्व परिवर्तन की बात कर देश के मूड के हिसाब से चलने की कोशिश कर रही है और शायद इसी के चलते धारा 370 पर नई कांग्रेस के नेता भूल सुधार की भावना सरकार के साथ खड़े दिखाई दिए।

यह एक सर्व ज्ञात तथ्य है एक समय में कांग्रेस के सियासी एजेंडे में अल्पसंख्यक प्राथमिकता का विषय होता था, बदली राजनीतिक परिस्थितियों में अब कांग्रेस की इस वोट बैंक पर भी मजबूत पकड़ नहीं रही। ऐसे में अब कांग्रेस कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है और उसके युवा नेताओं ने बिल का समर्थन किया।कांग्रेस के जिन युवा नेताओं ने धारा 370 पर बिल का समर्थन किया है वह ऐसे प्रदेशों से आते है जहां आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने है। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा और हरियाणा मे कांग्रेस के युवा चेहरे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बिल का समर्थन किया इन दोनों ही राज्यों में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव होने है।मध्यप्रदेश में सिंधिया अपने खोये जनाधार और और पारिवारिक साख को बचाने के लिए यह सब कर रहे हैं |कर्णसिंह तो उस सब का प्रायश्चित कर रहे हैं, जिसमें राज भी गया और राज्य का विकास भी नहीं हुआ |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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