नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2022-23 तक 6,806 करोड़ रूपये की कुल लागत से दिल्ली-मुम्बई मार्ग (वडोदरा-अहमदाबाद सहित) की गति बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है। इससे बेहतर गति, सेवा, सुरक्षा और क्षमता निर्माण सुनिश्चित होगा।
मिशन रफ्तार के एक हिस्से के रूप में भारतीय रेलवे अपने पूरे नेटवर्क में ट्रेनों की औसत गति में सुधार लाने के लिए एक मिशन के रूप में काम कर रही है। दिल्ली-मुंबई सेक्शन पर गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ाने से पैसेंजर ट्रेनों की औसत गति में 60% तक बढ़ोतरी होगी और माल यातायात की औसत गति भी दोगुनी होगी।
दिल्ली-मुंबई मार्ग 1,483 किलोमीटर लंबा है जो 7 राज्यों - दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है,। इससे नई दिल्ली - मुंबई के बीच लगने वाले यात्रा समय में 3.5 घंटे की कमी आएगी। इससे यह पूरी तरह से रात भर की यात्रा बन जाएगी। दिल्ली-मुंबई मार्ग की अधिकतम गति बढ़ाने से अर्द्ध-उच्च गति वाली ट्रेनों की गति में भी बढ़ोतरी होगी। इससे ऐसी ट्रेन भी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करके 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकेंगी। यात्रियों को अच्छी गति और सेवा सुनिश्चित होगी। इसके अलावा यह पाया गया है कि सुरक्षित एलएचबी कोच को भी इस गति के लिए उपयुक्त बनाया जा सकता है।
परियोजना के दायरे में बाड़ लगाना, स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (ईटीसीएस 2/ टीपीडब्ल्यूएस), मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार और स्वचालित और यंत्रीकृत नैदानिक प्रणालियां शामिल हैं। इनसे सुरक्षा और विश्वसनीयता में काफी बढ़ोतरी होगी। इन मुख्य बातों के अलावा इस नीति के तहत सभी प्रकार के क्रॉसिंगों को हटाने की भी आवश्यकता होगी, जिन्हें अलग योजना शीर्ष के तहत समाप्त किया जा रहा है।
पूरी परियोजना को एकल एजेंसी निष्पादन के साथ मार्ग वार एकल समग्र कार्य के नए दृष्टिकोण के आधार पर संरचित किया गया है, इसे अतिरिक्त बजटीय संसाधनों – संस्थागत वित्तं (ईआरबी-आईएफ) के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा। बेहतर वित्त पोषण, बेहतर तालमेल, पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं और अति आधुनिक प्रौद्योगिकी को शामिल करने से यह परियोजना अनुमोदन की तारीख से 4 साल में पूरी हो जाएगी। इसके अलावा, लाइन के साथ काम की योजना इस प्रकार बनाई जाएगी कि यातायात में कम से कम अवरोध हो और कि निर्माण चरण के दौरान यात्रियों और कारोबार पर कम से कम प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके।
यह परियोजना के निर्माण चरण के दौरान रोजगार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इससे प्रत्यक्ष रूप से 3.6 करोड़ से अधिक कार्य दिवसों का सृजन होगा। इससे आर्थिक गुणक शुरू करने में मदद मिलेगी और सभी राज्यों में विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से मार्ग की प्रवाह क्षमता में 30-35 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी जिससे भविष्य में पीपीपी मॉडल का मार्ग प्रशस्त होगा।
मिशन रफ्तार के एक हिस्से के रूप में सरकार ने दिल्ली-हावड़ा मार्ग के लिए भी इसी तरह की मंजूरी दी है, जो दिल्ली-मुंबई मार्ग के साथ मिलकर यात्री यातायात में 29 प्रतिशत और मालभाड़ा यातायात में 20 प्रतिशत का योगदान करता है। भारतीय रेलवे अपने समस्त गोल्डन चतुर्भुजीय और विकर्णों को कवर करने के लिए भी काम कर रही है। इसका पूरे भारतीय रेल नेटवर्क में 16 प्रतिशत लेकिन कुल यात्री यातायात में 52 प्रतिशत और कुल माल भाड़ा यातायात में 58 प्रतिशत हिस्सा है।