मप्र के 90 % पुलिस अधिकारी अवैध खनन में लगे हुए हैं: मंत्री डॉ गोविंद सिं​ह | MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश के सामान्य प्रशासन एवं सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होने दावा किया है कि मप्र के 90 % पुलिस अधिकारी अवैध उत्खनन के मामलों में से पैसा कमाने में लगे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और खनिज विभाग के अधिकारी मिलकर मप्र की खनिज संपदा को लूट रहे हैं। 

डॉ गोविंद सिं​ह ने कहा कि यह धंधा पिछले 15-20 साल से चल रहा है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ मैं पिछले 15 वर्षों से लगातार लड़ाई कर रहा हूं लेकिन आज मैं सरकार में मंत्री होने के बावजूद अवैध उत्खनन रोकने में असफल महसूस कर रहा हूं। उनसे जब सवाल किया गया कि आपने बयान दिया है कि 90 प्रतिशत पुलिस एवं 10 प्रतिशत खनिज अधिकारी अवैध रेत एवं पत्थर उत्खनन में शामिल हैं, तो इस पर सिंह ने फोन पर बताया, ‘हां कहा है। जो सचाई है, वह कहा है।’ उन्होंने दावा किया कि अवैध रेत एवं पत्थर उत्खनन पुलिस के सहयोग से ही चल रहे है।

पुलिस ने सारे काम बंद कर दिए, बस अवैध खनन वसूली करती है

सहकारिता मंत्री गोविन्द सिंह ने बताया कि पुलिस कानून व्यवस्था न देखकर अवैध रेत एवं पत्थरों के उत्खनन में लगी है। प्रदेश में जो चोरियां एवं लूट हो रही हैं, उन्हें रोकने की बजाय पुलिस रेत के डंपरों पर आदमी बैठाकर वसूली कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अवैध रेत उत्खनन रोकने की कार्रवाई करने पर प्रदेश में 15 हत्याएं हुई हैं, गोलियां चली हैं। पुलिसकर्मियों को भी गोलियां लगी हैं और पटवारियों को पीटा भी गया है।

मिलावट की तरह अवैध खनन पर भी अभियान होना चाहिए

मंत्री सिंह ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस नीत मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले मिलावटखोरों के खिलाफ पिछले महीने से अभियान चलाया है, उसी प्रकार रेत के अवैध उत्खनन पर भी रोक लगाए, ताकि हमारी खनिज संपदा से ‘रॉयल्टी’ आए और उसे प्रदेश के विकास में लगाया जा सके।

मैं 15 साल से इसे रोक नहीं पाया

उनसे सवाल किया गया था कि नौ महीने गुजर जाने के बाद भी क्या अवैध उत्खनन पर लगाम लगाने में आपकी सरकार कहीं न कहीं असफल दिखाई देती हैं, तो इस पर सिंह ने भिण्ड में कुछ स्थानीय चैनल के पत्रकारों से कहा था, ‘‘यह सच्चाई है। मैं पिछले 15 वर्षों से लगातार लड़ाई लड़ रहा था और आज भी सरकार में रहते हुए अवैध उत्खनन रोकने में असफल रहा हूं। मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं।

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