अनार्थिक होते हुए भी एक अबूझ पहेली बना, "शिक्षकों को पद नाम" | MP SHIKSHA VIBHAG SAMACHAR

भोपाल। शिक्षक संवर्ग लंबे समय से पदनाम की अनार्थिक मांग करता चला आ रहा है। विडंबना है कि शिक्षकों के साथ जो परिस्थितियां पूर्व में थी वो सत्ता परिवर्तन के साथ भी यथावत बनी हुई है। 

मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा है कि वर्तमान सरकार ने अपने वचन पत्र में इसे शामिल किया है लेकिन इसे पूरा करने में कहां व्यवहारिक परेशानियां आ रही है, स्पष्ट नहीं है। इसे लेकर मंत्रालय में आफिस-आफिस खेला जा रहा है । समय के साथ शिक्षक संवर्ग में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसका प्रमुख कारण है कि प्रतिमाह सैकड़ों शिक्षक उसी पद से सेवानिवृत्त हो रहे है जिस पर भर्ती हुई थी। 

वर्षों से नियमित पदोन्नति पर रोक लगी है ऐसे में 35-40 साल के सेवाकाल पर योग्यता होते हुए बगैर पदोन्नति के सेवानिवृत्त होना शिक्षक पद पर शासन का दिया बदनुमा दाग है। शायद विश्व में मप्र ही ऐसा राज्य है जहाँ ऐसी असहज स्थितियां निर्मित है। वर्तमान सरकार को अविलंब अपने वचन का पालन करते हुए शिक्षकों को पदनाम देकर जितनी जल्दी हो इस कलंक से मुक्त किया जावे।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!