शुभकार्य करना है तो फटाफट कर लें, 12 के बाद सिर्फ भजन-कीर्तन होंगे | PANDITJI KA PANCHANG

यदि किसी परिवार में शादी - ब्याह के लिए युवक - युवतियों का रिश्ता पक्का करना हो तो शीघ्र ही कर लें, अन्यथा अगले हफ्ते पड़ रही देवशयनी एकादशी से सभी तरह के शुभ मुहूर्तों पर रोक लग जाएगी। इसके बाद अगले चार माह तक शहनाई नहीं बजेगी। भगवान जगन्नाथ अपने मौसी के घर से देवशयनी एकादशी के दिन जब वापस मंदिर में लौटेंगे, तब देवगणों का विश्राम काल शुरू हो जाएगा। साथ ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी। चूंकि चातुर्मास में चार माह तक शुभ कार्य नहीं करने की परंपरा है, इसलिए चातुर्मास के बाद ही मुहूर्त शुरू होंगे। तब तक विवाह के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

तुलसी पूजा के बाद 10 दिन ग्रह-नक्षत्र ठीक नहीं

12 जुलाई को पड़ रही देवशयनी एकादशी के पूर्व मात्र तीन शुभ मुहूर्त में ही फेरे लिए जा सकेंगे। इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएगा। चातुर्मास के दौरान अगस्त, सितंबर, अक्टूबर में भी कोई मुहूर्त नहीं है। आठ नवंबर को देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाएगा। इसके बाद अगले 10 दिनों तक ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति सही न होने के चलते शुभ कार्य नहीं होंगे। नवंबर महीने में 19, 20 और 23 नवंबर को ही शुभ मुहूर्त है।

दिसंबर में लगेगा खरमास

इसके बाद साल के आखिरी महीने दिसंबर में भी मात्र दो मुहूर्त में शादियां की जा सकेंगी। एक और 10 दिसंबर को शुभ मुहूर्त के बाद 14 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाने से फिर एक माह के लिए विवाह नहीं होंगे। अगले साल 2020 की मकर संक्रांति के बाद फिर विवाह मुहूर्त की शुरुआत होगी।

शुभ मुहूर्त

जुलाई आठ, 10 और 11
अगस्त कोई मुहूर्त नहीं
सितंबर कोई मुहूर्त नहीं
अक्टूबर कोई मुहूर्त नहीं
नवंबर 19, 20 और 23
दिसंबर 01 और 10

साधु-संत जहां हैं वहीं ठहर जाएंगे

ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान की पूजा-पाठ, कथा सुनने से जीवन में किए गए पाप कटते हैं और मोक्ष का द्वार खुलता है। यही कारण है कि जैन धर्म में साधु, संत एक ही जगह रहकर आराधना करते हैं। चातुर्मास में भ्रमण नहीं करते, ताकि पैरों के नीचे आकर जीव-जंतुओं की हत्या न हो। हिन्दू धर्म में भी भजन, कीर्तन, सत्संग, श्रीरामकथा, श्रीमद्भागवत कथा, शिव पुराण कथा, देवी भागवत कथा सुनने का विधान है।

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