MP NEWS: मप्र के 9 जिलों के बच्चे नशे की लत का शिकार

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश के 9 जिले ऐसे हैं जहां मासूम बच्चे नशे की लत का शिकार हो गए हैं। ये बच्चे नशीली दवाओं को सूंघकर नशा करते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि देश भर के सभी राज्यों में की गई स्टडी में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है जबकि उत्तरप्रदेश नंबर 1 पर। संख्या के लिहाज से देखा जाए तो देशभर में नशे की लत की गिरफ्त में मौजूद बच्चों में हर 10वां बच्चा मध्यप्रदेश का है। यह स्टडी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओर से वर्ष 2018 में की गई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने देशभर के सभी 127 जिलों में बच्चों के लिए विशेष रूप से नशा मुक्ति केंद्र खोले जाने की सिफारिश की है। 

मध्यप्रदेश के इन 9 जिलों में बच्चे नशे की लत का शिकार

इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, नीमच मंदसौर, रतलाम, झाबुआ और रीवा शामिल हैं। इन जिलों में सर्वाधिक समस्या नशीला पदार्थ सूंघकर नशा करने की है। बच्चों में पाए जाने वाले नशों में इस तरह के नशेडियों की संख्या पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ी है। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नशा मुक्ति और लत के शिकार लोगों के इलाज और पुनर्वास के लिए 'नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन' नाम से एक कार्यक्रम तैयार किया है, जो 2023 तक चलेगा। 

प्रस्ताव बुलाए गए: 
इस कार्यक्रम में सरकार के साथ मिलकर काम करने के इच्छुक गैर सरकारी संस्थाओं से केंद्र सरकार ने प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। इस कार्यक्रम के तहत हर जिले में दो नशामुक्ति केंद्र खोले जाने हैं। इन केंद्रों को आउटरीच एंड ड्रॉप इन सेंटर (ओडीआईसी) नाम दिया जाएगा। जहां नशे की गिरफ्त में आए बच्चों की काउंसलिंग और इलाज दोनों की सुविधा होगी। इसके अलावा कुछ जिलों में युवाओं को नशे की लत से दूर करने के लिए, कम्युनिटी आधारित केंद्र (सीपीआई) खोले जाएंगे। दोनों ही तरह के सेंटर को, केंद्र 100 फीसदी अनुदान देगा। मध्य प्रदेश के सभी 9 जिलों में ड्रॉप इन सेंटर (ओडीआईसी) खोलें जाएंगे।

देशभर में 4.5 लाख बच्चे सूंघने के नशे के शिकार 

देशभर में व्हाइटनर,पंचर बनाने का साल्यूशन, सुलोचन जैसे नशीले पदार्थ सूंघ कर नशा करने वाले 17 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या लगभग 4.5 लाख है। ये बच्चे रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड, सार्वजनिक पार्कों में समूह बनाकर नशा करते पाए जाते हैं। मप्र में ऐसा लगभग 50 हजार बच्चे होने की बात सामने आई है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में नशे की लत के शिकार 10 से 17 वर्ष के 18 लाख किशोरों को तत्काल इलाज की जरूरत है।
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