अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की सफाई के लिए भारत सरकार क्या कर रही है, DST मिनिस्टर ने बताया

नई दिल्ली।
दुनियाभर के देश अंतरिक्ष में बहुत सारे सेटेलाइट और स्पेसशिप भेजते रहते हैं। कुछ मिशन फेल हो जाते हैं और कुछ एक्सपायर हो जाने के बाद डिस्कनेक्ट कर दिए जाते हैं। इन सब का कचरा अंतरिक्ष में तेजी से बढ़ता जा रहा है। वह पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है और निश्चित रूप से हर प्रकार का कचरा, सिस्टम के लिए खतरा होता है। अंतरिक्ष में अपनी सत्ता स्थापित कर रहा भारत कचरे की सफाई के लिए क्या कर रहा है। इसकी जानकारी राज्यसभा में दी गई।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि, अंतरिक्ष में परित्यक्त अथवा निष्क्रिय अंतरिक्ष यानों और उनके लॉन्च वाहनों का कचरा बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। किसी अंतरिक्ष यान की तरह यह कचरा भी पृथ्वी की निचली कक्षा में बेहद तीव्र गति से परिक्रमा कर रहा है। आकार में बेहद छोटा होने के बावजूद यह कचरा अंतरिक्ष यानों और रोबोटिक मिशनों को खतरे में डाल सकता है। इस चुनौती से निपटने के लिए इसरो अंतरिक्ष में बढ़ते मलबे के प्रभावों पर कई अध्ययन कर रहा है।

यूएस स्पेस डॉट कॉम पर सूचीबद्ध अंतरिक्ष कचरे और स्पेस ट्रैक वेबसाइट का हवाला देते हुए डॉ सिंह ने सदन को बताया कि 20 जनवरी 2023 तक कुल 111 पेलोड और 105 अंतरिक्ष अपशिष्टों की पहचान पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली भारतीय वस्तुओं के रूप में की गई है। उन्होंने कहा कि परिक्रमा करने वाले इस मलबे का बाहरी अंतरिक्ष पर्यावरण पर असर पड़ रहा है और भविष्य के मिशनों की स्थिरता भी इससे प्रभावित हो सकती है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष मलबे से उभरते खतरों पर अध्ययन 1990 के आंरभ से इसरो और शिक्षाविदों द्वारा किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, वर्ष 2022 में, इसरो सिस्टम फॉर सेफ ऐंड सस्टेनेबल ऑपरेशन्स मैनेजमेंट (IS 4 OM) स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य, टकराव के खतरे वाली वस्तुओं की लगातार निगरानी के लिए अधिक प्रभावी प्रयास करना, मलबे से युक्त अंतरिक्ष पर्यावरण के विकास की भविष्यवाणी में सुधार और अंतरिक्ष मलबे से उत्पन्न जोखिम को कम करने के लिए ठोस गतिविधियां संचालित करना है।

अंतरिक्ष कचरे के बेहद छोटे टुकड़ों से टकराव के खतरे से यान को बचाने के प्रभावी प्रयास आवश्यक हैं। आगामी मिशनों की सुरक्षा में सुधार के लिए इसरो में अंतरिक्ष यान परिरक्षण संबंधी अध्ययन और विकास कार्य किये जा रहे हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष कचरे के भारतीय अंतरिक्ष संपत्ति के साथ टकराव को रोकने के लिए वर्ष 2022 में इसरो ने 21 अभ्यास किए हैं।

नासा के अनुसार, पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष अपशिष्ट के 27 हजार से अधिक टुकड़े तैर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे अपशिष्ट टुकड़े शामिल हैं, जो आकार में बेहद छोटे हैं, और उन्हें ट्रैक करना कठिन है। अंतरिक्ष कचरा और अंतरिक्ष यान दोनों 15,700 मील प्रति घंटे की अत्यधिक तीव्र रफ्तार से पृथ्वी की निचली कक्षा में घूम रहे हैं, और इनके आपस में टकराने का खतरा बना रहता है। (इंडिया साइंस वायर

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