यह सब भी आपके खाते में है, केंद सरकार ! | EDITORIAL by Rakesh Dubey

NEWS ROOM
नई दिल्ली। पुन: पदारूढ़ मोदी सरकार ने अपनी पहली केबिनेट बैठक में किसान और व्यापारियों के लिए लुभावनी घोषणाएं की है | लगता है सरकार अपने पिछले कार्यकाल पर नजर डालना भूल गई है | सांखियकी उसके पक्ष में नहीं है | सबसे तेज बढती अर्थव्यवस्था का तमगा अब उसके पास नही रह गया है, देश चीन से पिछड़ गया है | देश का सकल घरेलू उत्पाद दर [जी डी पी] जनवरी से मार्च 2019 में घटी है |यह दर इस अवधि में घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई है | अपनी पिछली गलतियों से सरकार को सबक लेना चाहिए | वैसे वो अकेले इसके लिये जिम्मेदार नहीं है, राज्य भी सहभागी है | मध्यप्रदेश राजस्थान और झारखंड जैसे राज्य रोजगार सृजन के मामले में पीछे है | रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद के आपसी सम्बन्ध सब बखूबी जानते हैं | खुद के प्रयास के साथ केंद्र को राज्यों पर भी नकेल कसना होगी | यह कार्यकाल ज्यादा चुनौतीपूर्ण है |

वित्तीय वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी ) की वृद्धि दर पिछले साल की समान अवधि से घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई है| वित्त वर्ष 2017-18 में चौथी तिमाही में देश की जीडीपी विकास दर 7.7 प्रतिशत थी|

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा कल जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत फीसदी रही , जो कि जीडीपी विकास दर का पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है| आंकड़ों के अनुसार, देश की आर्थिक विकास दर घटने का मुख्य कारण कृषि और खनन क्षेत्र की वृद्धि दर में कमी है| कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र की संवृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 में 2.9 प्रतिशत रही. जबकि पिछले साल यह 5 प्रतिशत थी|आलोच्य वित्त वर्ष में खनन व उत्खनन क्षेत्र की संवृद्धि दर 1.3 प्रतिशत रही जबकि उससे पिछले साल यह 5.1 प्रतिशत थी|इसी तरह वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39 प्रतिशत रहा है| यह बजट के 3.40 प्रतिशत के संशोधित अनुमान की तुलना में कम है|

जीडीपी में वृद्धि मुख्यत: ऐसे क्षेत्रों में हुई है जिनमें रोजगार के कम अवसर होते हैं| सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने सिर्फ 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की बात कही थी | अब क्रिसिल ने कहा है कि ‘‘अधिकांश राज्यों में आर्थिक वृद्धि रोजगार सृजन के अनुकूल नहीं रही है.'' रिपोर्ट में कहा गया कि ११ राज्यों में विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं जैसे रोजगार केंद्रित क्षेत्रों में राष्ट्रीय दर की तुलना में कम रफ्तार से वृद्धि हुई है | रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में 12 राज्यों की आर्थिक वृद्धि दर राष्ट्रीय दर की तुलना में अधिक रही| क्रिसिल ने कहा कि इस दौरान कम आय वाले राज्यों तथा अधिक आय वाले राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति आय की खाई चौड़ी हुई है| इस रपट के अनुसार, गुजरात, बिहार और हरियाणा में रोजगारोन्मुख क्षेत्रों की वृद्धि सबसे तेज रही| राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में इनकी वृद्धि दर सबसे कम रही| राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश पिछले तीन वर्ष में क्षमता विस्तार के अनुपात में सबसे ऊपर रहे. पर इन राज्यों में स्वास्थ्य, सिंचाई और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया| 

राजकोषीय घाटे के बजट के संशोधित अनुमान से कम रहने का मुख्य कारण कर से अन्यत्र अन्य मदों में प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि तथा खर्च का कम रहना है| आंकड़ों के संदर्भ में कहा जाए तो 31 मार्च 2019 के अंत में राजकोषीय घाटा 6.45 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि बजट में राजकोषीय घाटे के कम रहने का संशोधित पूर्वानुमान व्यक्त किया गया था|

बढ़े राजकोषीय घाटे के आंकड़ो से जीडीपी के आंकड़ों की तुलना करने पर यह 3.39 प्रतिशत रहा है| महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39 प्रतिशत रहा| वास्तविक आंकड़ों में राजकोषीय घाटा बढ़ा है, लेकिन जीडीपी के कारण इसकी तुलना में राजकोषीय घाटा का अनुपात कम हुआ है| सरकार को इस और ध्यान देना जरूरी है |
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!