यदि आप शनिदेव की साढ़े साती व ढैया दृष्टि से पीड़ित हैं तो आपके लिए यह राहतकारी खबर है। आगामी शनिवार (4 मई 2019) को शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर यदि आप विधिविधान से विशेष आराधना करें एवं जाने अनजाने हुए पापों के लिए क्षमायाचना करेंगे तो आपको आगामी 1 हिंदू वर्ष के लिए शनि के दंड से मुक्ति मिल सकती है।
षडाष्टक एवं आयुष्मान योग बन रहा है
पंडित विष्णु राजौरिया ने बताया कि ग्रहों की सत्ता और विक्रम संवत के राजा शनि के राज में इस बार वैशाख मास की शनि अमावस्या मनाई जा रही है। इस दिन त्रिग्रही योग बन रहा है। इसकी वजह मेष राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध ग्रह के एक साथ होना है। पंडित रामजीवन दुबे गुरुजी ने बताया शनि अमावस्या को मंगल-शनि षडाष्टक योग बन रहे हैं। वहीं इस दिन आयुष्मान योग का संयोग भी बन रहा है, जो अभीष्ट फल देने वाला रहेगा। इस योग की वजह से साढ़े साती व ढैया से जातकों को मुक्ति मिल सकेगी। बताया जाता कि संवत का राजा शनि होने से शनिश्चरी अमावस्या को साढ़े साती व ढैया वाले जातकों को विशेष रूप से दान कर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
साढ़े साती व ढैया विशेष आराधना करें
पंडित अरुण बुचके कहना है कि वैशाख मास की अमावस्या तिथि शनिवार के दिन हो तो इसका महत्व अधिक हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की विशेष आराधना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिन राशि के जातकों को शनि भगवान की क्रूर दृष्टि पड़ रही है वे भी शनि की आराधना करके उन्हें मना सकते हैं। उन पर भी शनि महाराज कृपा दृष्टि बरसाएंगे। शनि के प्रकोप से बचने के लिए जातक मंगलकारी योग में भगवान शनि का तिलाभिषेक करें, जिससे राहत मिलेगी।