भोपाल। लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल आने के तत्काल बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को पत्र लिख दिया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बयान दिया कि 10 कांग्रेसी विधायक उनके संपर्क में है। इसके बाद कमलनाथ सरकार के संकट में आ जाने की खबरें शुरू हो गईं परंतु इससे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह नाराज हो गए। भाजपा हाईकमान का मानना है कि मध्यप्रदेश की इस हलचल से केंद्र में एनडीए की सरकार बनाने की कोशिशें प्रभावित हुईं हैं। कुल मिलाकर इसी के साथ फिलहाल कमलनाथ सरकार सुरक्षित हो गई है और यह भी तय हो गया है कि अब अगला हमला अमित शाह की तरफ से ही होगा। भाजपा नेताओं की इस तरह की बयानबाजी पर पाबंदी लगा दी गई है।
प्रदेश अध्यक्ष बोले: हमने तो सत्र बुलाया था, फ्लोर टेस्ट की बात नहीं की
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने प्रदेश संगठन से पूछताछ की कि क्या भार्गव ने बयान देने से पहले उन्हें भरोसे में लिया था। पार्टी की नाराजगी की वजह ये है कि हाईकमान इन दिनों केंद्र में नई सरकार के गठन की कवायद कर रहा है। ऐसे समय में एक प्रदेश सरकार को अस्थिर करने वाले बयान से पार्टी को असहज परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने इस बारे में सफाई भी दी कि भार्गव ने सत्र बुलाने को पत्र लिखा था, उसका फ्लोर टेस्ट से कोई लेना देना नहीं है।
भाजपा नेताओं के बयानों ने स्थिति बिगाड़ी
भाजपा सूत्रों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया गया था। भार्गव का तर्क था कि सदन में कई ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा होना अनिवार्य है। नेता प्रतिपक्ष के पत्र की भाषा तो सत्र बुलाए जाने तक सीमित थी, लेकिन उन्होंने मीडिया में जो अलग-अलग बयान दिए, उसका संदेश यही था कि भाजपा मप्र में कमलनाथ सरकार गिराना चाहती है। इसी वजह से हाईकमान नाराज हुआ।
बचकाने बयानों से कांग्रेस को फायदा हुआ
संगठन स्तर पर पूछा गया कि बिना बातचीत किए यह बयान कैसे जारी किया गया। विधायक दल की बैठक भी नहीं बुलाई गई। इन तमाम बातों को लेकर हाईकमान ने प्रदेश संगठन से अपनी नाराजगी जाहिर की है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस बात से भी नाराज है कि बयान के बाद कांग्रेस सतर्क हो गई है। विधायकों के बीच बढ़ रही नाराजगी को भी उसने काफी हद तक संभालने का प्रयास किया है।
बिना ठोस प्लान के बयानबाजी का क्या फायदा
हाईकमान इस बात से खफा है कि मप्र भाजपा के नेताओं के पास सरकार बनाने का कोई ठोस प्लान नहीं है। पार्टी नेताओं का कहना है कि फिलहाल जब तक केंद्र में नई सरकार का गठन नहीं हो जाता, तब तक मप्र में भाजपा किसी भी तरह का फैसला नहीं ले पाएगी। दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि पार्टी के पास निर्दलीय से लेकर अन्य किसी भी विधायक का समर्थन फिलहाल नहीं मिला है, जिसके आधार पर भाजपा अपने दावे को सही ठहरा सके। पार्टी के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने भी एक दिन पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की है पर उसमें भी इस तरह की चर्चा का मुद्दा नहीं आया।
हमने कुछ नहीं किया, ये सब कांग्रेस का किया धरा है
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि कांग्रेस खुद ही डरी हुई है। कांग्रेस के नेता अनर्गल बातें कर रहे हैं। भाजपा ने कहीं भी फ्लोर टेस्ट की बात नहीं कही है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने जो पत्र लिखा है, उसमें सिर्फ सत्र बुलाने का आग्रह किया गया है पर इस बात को कांग्रेस ने सरकार गिराने का रंग देकर उन लोगों को साधने की कोशिश की है, जिनके बारे में कहा जा रहा था कि ये कभी भी कांग्रेस सरकार को छोड़ सकते हैं।