इंदौर। छावनी चौराहे से सरेआम एक युवक विकास जैन के अपहरण की कोशिश की गई। वहां मौजूद पुलिस आरक्षक अपहरणकर्ताओं से भिड़ गए। अपहरण के प्रयास को बिफल कर दिया गया। विकास को बचा लिया गया। अपहरणकर्ता फरार हो गए। यहां तक की कहानी तो सिंपल लगती है और बहादुर पुलिस कांस्टेबल को इनाम देकर कहानी यहां खत्म हो जाती है परंतु थोड़ा गहराई में जाएं तो कई सवाल सामने आ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि कहीं यह विवाद HIGH PROFILE GAMBLING का तो नहीं।
बोनास एडवाइजरी कंपनी में क्या कारोबार किया जाता है। ऐसा क्या है जो लोगों को कानून की मदद लेने के बजाए अपराध करने की तरफ प्रेरित कर रहा है।
क्या बोनास एडवाइजरी कंपनी नाम की कोई कंपनी सरकारी रजिस्टर्ड में दर्ज भी है।
पुलिस अपने सिपाही की बहादुरी की कहानी तो बता रही है परंतु कहानी के सभी किरदारों की डीटेल्स क्यों छुपा रही है।
इंटरनेट पर विकास जैन इंदौर में Commodity Trading के लिए बतौर प्रोफेशनल दर्ज मिला।
पुलिस द्वारा बताई गई कहानी यह है
ASP अनिल पाटीदार के मुताबिक शुक्रवार रात 7.30 बजे विकास (VIKAS JAIN) पिता रामप्रसाद जैन (Ramprasad Jain) निवासी बाहुबली कॉलोनी सागर का कार चालकों ने अपहरण करने की कोशिश की थी। विकास बोनास एडवाइजरी कंपनी (Bonas Advisory Company) में काम करता है और हार्डिया कंपाउंड (Hardia Compound) में रहता है। चौराहे पर मौजूद सिपाही शैलेंद्र ने विकास को अगवा होने से बचा लिया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पता लगाया कि आरोपित कार (एमपी 09वीवाय 2687) से आए थे। पुलिस ने देर रात कार मालिक मृृदुल को एरोड्रम क्षेत्र से पकड़ लिया। उसने पूछताछ में बताया कि वह एडवाइजरी कंपनी में काम करता है। उसका दोस्त हर्ष अंबोदिया कार मांगकर ले गया था। हर्ष के एक परिचित ने बोनास एडवाइजरी कंपनी में 16 लाख रुपए निवेश किए थे। वह दोपहर को कंपनी में गया था, जहां विकास को देख लिया था। शाम को वह ऑफिस से निकला तो उसका पीछा किया। जैसे ही वह चौराहे पर उतरा उसे कार में बैठाने की कोशिश की। पुलिस ने हर्ष के परिचितों को हिरासत में ले लिया है।सुलगते सवाल
हर्ष और आशीष के बीच विवाद क्या है। हर्ष ने 16 लाख रुपए कंपनी में निवेश किए थे तो आशीष का अपहरण करने की कोशिश क्यों की।बोनास एडवाइजरी कंपनी में क्या कारोबार किया जाता है। ऐसा क्या है जो लोगों को कानून की मदद लेने के बजाए अपराध करने की तरफ प्रेरित कर रहा है।
क्या बोनास एडवाइजरी कंपनी नाम की कोई कंपनी सरकारी रजिस्टर्ड में दर्ज भी है।
पुलिस अपने सिपाही की बहादुरी की कहानी तो बता रही है परंतु कहानी के सभी किरदारों की डीटेल्स क्यों छुपा रही है।
अब तक की तहकीकात
हमने इस मामले की ऑनलाइन हकीकत करने की कोशिश की। बोनास एडवाइजरी कंपनी नाम की कोई भी कंपनी MCA में रजिस्टर्ड ही नहीं हैं। यानी यदि कोई व्यक्ति इस नाम का उपयोग करके कार्यालय चला रहा है तो वो जालसाज हो सकता है। एक मिलता जुलता नाम मिला है Bonaz Capital Investment Advisor लेकिन VIKAS JAIN का इस कंपनी से कोई संबंध नहीं मिला।इंटरनेट पर विकास जैन इंदौर में Commodity Trading के लिए बतौर प्रोफेशनल दर्ज मिला।