एक बार एक कुत्ता गलती से एक कमरे में घुस गया। जहा चारो तरफ ऊपर नीचे शीशे ही लगे हुए थे। कुत्ता आश्चर्य से देखता रहा उसके चारो तरफ ऊपर नीचे हर जगह बस कुत्तो का झुंड ही दिखाई दे रहा था।
कुत्ते ने डर के कारन हल्का सा दांत निकाल के भौंका। ताकि सारे कुत्ते वहाँ से भाग जाये। पर वहाँ दिख रहे उस कुत्ते की सारी परछाई ने भी एक साथ भौंका।
वह कुत्ता और डर गया। डर से और जोर जोर से भोंकने लगा। साथ इस उस कुत्ते की परछाइयों ने भी उसी तरह भोकना चालू कर दिया। और जोर की गूँज के साथ वो कुत्ता भोंकता रहा और अपने ही परछाइयों को काटने लगा। शीशे से टकरा के उसके दांतो में चोट लगती वह फिर भी और जोर से सामने वाले कुत्ते को काटने दौड़ता।
गिरता उठता फिर वही प्रक्रिया दोहराता रहा। काफी समय के बाद वहाँ कुछ लोग आये तो उन्होंने देखा वो कुत्ता बेजान और चोटिल अवस्था में वहाँ पड़ा रहा।
कहानी से शीख : इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की। यह दुनिया अच्छी या बुरी नहीं होती। बल्कि हम ही इसे अपने विचारो से अपने आस पास के माहौल से इसे अच्छा या बुरा बनाते है।