हर साल अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya)पर भारतीय समाज में सोना खरीदने का चलन है, ऐसी धारणा है कि इस त्योहार पर सोना खरीदने से कभी संपत्ति की कमी नहीं होती है. दरअसल अक्सर अक्षय तृतीया पर महिलाएं फिजिकल गोल्ड यानी गहने और सोने के सिक्के (Jewelry and gold coins) खरीदते हैं, क्योंकि इससे उन्हें गोल्ड का एहसास होता है. लेकिन निवेश (INVESTMENT) के नजरिये से ज्वेलरी खरीदना सही फैसला नहीं माना जाता है. क्योंकि जब आप ज्वेलरी खरीदते हैं तो उसमें मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. लेकिन उसी ज्वेलरी को जब बेचते हैं तो आपको उसका मैन्युफैक्चरिंग चार्ज नहीं मिलेगा. यानी लागत से आपको कम रकम मिलेगी.
वहीं अगर आप इंपॉर्टेट गोल्ड खरीदते हैं मेकिंग चार्ज के अलावा इंपोर्ट प्राइस पर भी 10 फीसदी GST जोड़ा जाता है. ज्वेलरी में लगने वाले गोल्ड पर 3 फीसद जीएसटी देना होगा और मेकिंग चार्ज पर 5 फीसद जीएसटी देना होगा. लेकिन अगर आप इस अक्षय तृतीया पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) खरीदते हैं तो आपको किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा. साथ ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को जब बेचेंगे तो उस पर आपको मार्केट रेट के हिसाब से पूरी वैल्यू मिलेगी.
वहीं जब आप सोना या फिर ज्वेलरी खरीदते हैं तो यह एक तरह से रिस्की सौदा होता है. क्योंकि ज्वेलरी खो जाने या फिर चोरी हो जाने का खतरा होता है. जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के साथ ऐसा कोई खतरा नहीं है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पर भारत सरकार की ओर से सॉवरेन गारंटी भी रहती है इसलिए अगर आपके बॉन्ड को किसी तरह का नुकसान पहुंचता है तो सरकार उस पर बाजार की मौजूदा कीमत के आधार पर ही रिडेंप्शन देगी.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड इसलिए भी फायदे का सौदा है कि इसपर सरकार खुद 2.5 फीसदी की दर से ब्याज देती है. इसके अलावा इसके खोने, चोरी हो जाने और टूट जाने का खतरा नहीं होता है. घर में फिजिकल गोल्ड रखना हर तरीके से महंगा है. अगर आप सोने को बैंक के लॉकर में रखते हैं तो अपको इसके लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी. क्योंकि बैंक हर महीने के लिए हिसाब से लॉकर का चार्ज वसूलता है.