नई दिल्ली। प्रज्ञा सिंह ठाकुर (PRAGYA SINGH THAKUR), मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी जिसके खिलाफ आतंकवाद के लिए कोर्ट में केस चल रहा हो, भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बना दिया। वो भाजपा जो हत्या और बलात्कार के आरोपियों को टिकट देने का विरोध करती थी। भाजपा ने ऐसा क्यों किया, इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश राजनीति के कई पंडित कर रहे हैं। हेमंत करकरे और अयोध्या ढांचा बयान के बाद अब स्थिति कुछ साफ सी होती नजर आ रही है। दरअसल, प्रज्ञा ठाकुर भाजपा की प्रत्याशी नहीं बल्कि पूरे देश में चुनाव प्रभावित करने की कोशिश का नाम है। एक प्रयोग जो आज से पहले कभी नहीं किया गया, परंतु इतिहास गवाह है कि इससे संवेदनाएं जागृत होती हैं और आक्रोश की आग जल उठती है। प्रज्ञा ठाकुर के माध्यम से एक लहर चलाने की कोशिश की जा रही है ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो सके और चुनाव को विकास व घोषणा पत्र के मुद्दे से भटकाया जा सके।
प्रज्ञा की प्रताड़ना वाली कहानियों से उठेगी कांग्रेस के खिलाफ गुस्से की लहर
काफी कोशिशों के बावजूद 2019 में भाजपा कोई लहर पैदा नहीं कर पाई। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, तमाम सारी योजनाएं, टीशर्ट, कप, केप, सोशल मीडिया, पाकिस्तान, सबकुछ कर लिया लेकिन वो बात नजर नहीं आई जो जीत का आश्वासन देती है। प्रज्ञा सिंह एक दम नया प्रयोग है। प्रज्ञा सिंह अपनी प्रताड़ना की कहानियां सुनाएंगी। इन कहानियों के माध्यम से देश भर में यह बताया जाएगा कि यदि कांग्रेस की सरकार आएगी तो हिंदू किस तरह खतरे में आ जाएगा। एक महिला, एक सन्यासी, एक साध्वी पर अत्याचार की कहानियां लोगों में कांग्रेस के खिलाफ गुस्से की लहर पैदा कर देंगी और इसी लहर पर सवार होकर पार्टी सत्ता तक पहुंच जाएगी।
प्रज्ञा सिंह चुनावी माहौल बदल रहीं हैं
उम्मीदवारी घोषित होने के बाद प्रज्ञा के मिजाज तल्ख होने लगे हैं और मतदाताओं को भावनात्मक तौर पर लुभाने में जुट गई है। उन्होंने कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप तो लगाया ही साथ में हिंदुत्व आतंकवाद और भगवा आतंकवाद का जिक्र छेड़ा और मालेगांव बम विस्फोट का आरोपी बनाए जाने के बाद पुलिस की प्रताड़ना का ब्योरा देना शुरू कर दिया। वे लोगों के बीच भावुक भी हो रही हैं।
फायदा तो भोपाल में भी मिलेगा
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया ने कहा, "बीजेपी ध्रुवीकरण चाहती है, इसी के चलते उसने भगवा वस्त्रधारी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा है। भाजपा वास्तव में प्रज्ञा ठाकुर के जरिए पूरे देश में यह संदेश देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है। प्रज्ञा को हिंदुत्व पीड़ित बताने की भी कोशिश होगी और भाजपा भोपाल में इस चुनाव को अन्य मुद्दों की बजाय ध्रुवीकरण करके लड़ना चाहती है। प्रज्ञा के उम्मीदवार बनते ही भाजपा की रणनीति के संकेत मिलने लगे हैं।
भोपाल लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
भोपाल संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि वर्ष 1984 के बाद से यहां भाजपा का कब्जा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस को छह बार जीत हासिल हुई है। भोपाल में 12 मई को मतदान होने वाला है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े 19 लाख मतदाता है, जिसमें चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं। मतदाताओं के इसी गणित को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था, मगर भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर ध्रुवीकरण का दांव खेला है।
आधी लोकसभा पर कांग्रेस का कब्जा है
भोपाल संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की आठ सीटें आती हैं। लगभग चार माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने आठ में से पांच और कांग्रेस ने तीन सीटें जीती। लिहाजा सरकार में बदलाव के बाद भी भोपाल संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा सफलता मिली थी। दिग्विजय सिंह भी प्रज्ञा की उपस्थिति से सियासी माहौल में आने वाले बदलाव को पहले ही भांप गए थे, यही कारण है कि उन्होंने प्रज्ञा का स्वागत करते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया था।
दिग्विजय सिंह की रणनीति
दिग्विजय सिंह स्वयं जहां खुलकर प्रज्ञा पर हमला करने से बच रहे हैं, वहीं कार्यकर्ताओं को भी इसी तरह की हिदायतें दे रहे हैं। सिंह को यह अहसास है कि मालेगांव बम धमाके और प्रज्ञा पर सीधे तौर पर कोई हमला होता है तो चुनावी दिशा बदल सकती है। सिंह भोपाल के विकास का रोड मैप और अपने कार्यकाल में किए गए कामों का ब्योरा दे रहे हैं।