कब और कैसे मनाएं गुड़ी पड़वा का त्यौहार, Gudi Padwa की कथा एवं महत्व | RELIGIOUS NEWS

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नई दिल्ली। भारतीय पंचांग के अनुसार (Indian calendar / PNCHANG) चैत्र माह के शुक्ल प्रतिपदा को नया साल शुरू होता है, जोकि इस साल 6 अप्रैल के दिन होगा. इसे हिंदू नववर्षोत्सव (Hindu New Year Festival) कहा जाता है. आपने संवत के बारे में तो सुना ही होगा. बस इसी से हिंदू नववर्ष का संबंध है. असल में हिंदू कैलेंडर में यह गणना विक्रम संवत के अनुसार है, जो ईसा पूर्व 57 में शुरू हुई. महाराष्ट्र और कोंकण (Maharashtra and Konkan) में इसे गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa or Samvatsar Padvo) के नाम से मनाया जाता है. इसे संवतसारा या संवत (Samvatsara) भी कहा जाता है. 

वहीं दक्षिण भारत में उगाडी (Ugadi 2019) के नाम से इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. अगर आप सोच रहे हैं कि चैत्र नवरात्रि 2019 (Chaitra Navratri 2019) में कब से हैं, तो बता दें कि इसी दिन से चैत्र नवरात्रि (First day of Navratri) का पहला दिन शुरू होता है. चैत्र नवरात्रि 2019 (Chaitra Navratri 2019) में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और अपनी अपनी परंपरा के तहत लोग आष्ठमी या नवमी के दिन पूजा कर राम नवमी मनाते हैं.

चैत्र माह की पहली तिथि को गुड़ी पड़वा मनाई जाती है. इस साल गुड़ी पड़वा 6 अप्रैल को है. गुड़ी का मतलब होता है ‘विजय पताका‘. गुड़ी पड़वा की कथा क्या है, अगर आप यह जानना चाहते हैं तो हम आपको बताते हैं. प्रचलित कथा के अनुसार शालिवाहन नाम के एक कुम्हार के बेटे ने मिट्टी के सैनिकों की सेना बनाई और उसमें प्राण फूंक दिए थे. कुम्हार के बेटे ने अपनी इस सेना की मदद से दुश्मनों को हरा दिया था. इस जीत के प्रतीक के रूप में ही शालिवाहन शक का प्रारंभ हुआ. इसके अलावा एक और कहानी है. जिसके अनुसार इसी दिन भगवान राम ने वानरराज बाली से दक्षिण की प्रजा को बाली के त्रास से मुक्ति दिलाई थी. इसके बाद प्रजा ने घरों में ध्वज (गुड़िया) फहराए थे. यही वजह है कि महाराष्ट्र में आज के दिन घर के आंगन में गुड़ी खड़ी की जाती है.

महाराष्ट्रियों में यह दिन नये साल के तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन हर घर में पूरन पोली (Puran Poli) बनाई जाती है. यह गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चे आम के मिश्रण से तैयार होती है. वैसे तो पूरन पोली कई तरह से बनाई जाती है लेकिन चने की दाल से बनी पूरन पोली ज्यादा लो​कप्रिय है. इसे बनाने के लिए चने की दाल के अलावा चीनी, गुड़, इलाइची पाउडर आदि का इस्तेमाल किया जाता है. इन सब सामग्रियों को मिलाकर फीलिंग तैयार करने के बाद मैदे की रोटी बनाकर उसमें इसे फीलिंग को भरा जाता है. 

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