भोपाल। विगत विधानसभा का अनुभव है कि चुनाव में संलग्न मतदान दलों के कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा उठाकर व्यवस्था में लगे कर्मचारी मनमानी वसूली करते हैं। जबकि पूरे प्रदेश में एक मूल्य निर्धारित कर दिया जाना चाहिए जो सार्वजनिक हो एवं अनिवार्य भी। मामला मतदान कर्मचारियों को प्रदाय किए जाने वाले भोजन के मूल्य का है। चुनाव आयोग मतदान को देश हित में किया गया सबसे महत्वपूर्ण काम बताता है, मतदाता का अभिनंदन करता है परंतु मतदान दल के प्रति सौतेला व्यवहार किया जाता है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि विगत विधानसभा निर्वाचन के समय देखा गया कि कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा उठाकर एक समय भोजन के 200/- प्रति कर्मचारी के मान से वसूली की गई। मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मांग करता है कि प्रदेश के समस्त कलेक्टर महोदय को इस संबंध में निर्देश दिए जावे कि भोजन की वास्तविक लागत ली जाए।
इसके लिए प्रदेश स्तर से आदर्श भाव निर्धारित कर दिये जावे ताकि किसी प्रकार के विवाद की स्थिति निर्मित न हो व कर्मचारियों का बेजा शोषण न हो। जिलों में मतदान केंद्र पर भोजन उपलब्ध कराने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट चेतावनी दी जावे की अतिरिक्त वसूली न करे।