बद्जुबानों, निर्वाचन आयोग की तो मानो | EDITORIAL by Rakesh Dubey

भारत के निर्वाचन आयोग को यह कदम पहले ही उठा लेना चाहिए था, इससे बदजुबानी कुछ रूकती | निर्वाचन आयोग की गिनती  यूँ तो देश की सर्वोच्च संस्थाओं में होती है, पर उसके पास कोई अधिकार है यह पहली बार पता लगा| यह अलग बात है उसकी पाबंदी के बाद  भी नमो टीवी चल  रहा है | अब उसने उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और बसपा सुपीमो मायावती को उनके भड़काऊ भाषणों के चलते प्रतिबंधित करने के बाद एक और बड़ी कार्रवाई हुई है| आयोग ने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सपा नेता और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान और केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी की वरिष्‍ठ नेता मेनका गांधी पर भी रोक लगा दी है| उसकी इस रोक-टोक को मानना और उसके प्रकाश में स्वयं को मर्यादित करने का प्रयास उन प्रजातंत्र के कथित हिमायतियों को करना चाहिए, जो इन दिनों अनाप-शनाप बोल रहे हैं |

आजम खान को जहां ७२  घंटे के लिए प्रतिबंधित किया गया है, वहीं मेनका गांधी पर ४८  घंटों का प्रतिबंध लगाया गया है|ये दोनों नेता किसी तरह की चुनावी रैलियों या चुनाव प्रचार में हिस्‍सा नहीं ले सकेंगे. चुनाव आयोग के आदेशानुसार आजम खान और मेनका गांधी पर  आज यानि १६  अप्रैल सुबह १० बजे से यह प्रतिबंध लागू होगा| बड़े लोगों के अनुसरण में यह नेता इन पाबंदियों को कितना मानेंगे समय बतायेगा | अगर कहीं यह नमो टीवी के आदेश  न मानने की राह पर चले तो वातावरण हर  क्षण विषाक्त ही होगा | जो प्रजातंत्र के लिए कहीं से भी ठीक नहीं है |

भारत के निर्वाचन आयोग ने रामपुर से बीजेपी की प्रत्‍याशी जया प्रदा के खिलाफ की गई टिप्‍पणी को लेकर सपा के वरिष्‍ठ नेता और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ सख्‍त रुख अपना लिया है| आयोग ने रामपुर में जया प्रदा को लेकर दिए गए उनके बयान को लेकर ७२  घंटों के लिए उन्‍हें प्रतिबंधित कर दिया है| इस दौरान सपा नेता किसी भी तरह से चुनाव प्रचार में हिस्‍सा नहीं ले सकेंगे. बता दें कि आजम खान ने रैली में बीजेपी प्रत्‍याशी जया प्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्‍पणी की थी| अब प्रश्न यह उठता है कि अपराध की तुलना में यह दंड कितना कारगर है और क्या यह किसी के सम्मान को लौटा सकता है ? क्या इससे उससे दुःख की भरपाई हो सकेगी जो बिगड़े बोल से किसी को पहुंचा है ?

निर्वाचन  आयोग ने छानबीन में पाया कि आजम खान ने रामपुर में आयोजित रैली में चुनाव आचार संहिता का उल्‍लंघन किया. वहीं, मेनका गांधी पर सुल्‍तानपुर में आयोजित एक जनसभा में आचार संहिता का उल्‍लंघन करने का आरोप लगा था| दरअसल, मेनका गांधी ने सुल्‍तानपुर में आयोजित एक रैली में मुस्लिम समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि समुदाय के लोग उनके पक्ष में वोट नहीं करेंगे तो वे उनके पास काम करवाने के लिए भी न आएं| केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी. छानबीन के बाद अब यह कार्रवाई की गई है|

अब प्रश्न निर्वाचन आयोग को वर्तमान प्रजातांत्रिक ढांचे के साथ तालमेल करते हुए चलने का है | चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करने से राजनीतिक दल कहाँ चूक रहे हैं | निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अनदेखी एक फैशन बनता जा रहा है, जिसमे सभी राजनीतिक दल शामिल हैं | इस पर रोक लगनी चाहिए, देश के उच्चतम न्यायालय को स्वयं संज्ञान लेना चाहिए. ऐसे बोल समाज में कटुता से लेकर हिंसा तक फैला सकते हैं| देश हित में इस विषय पर सोचने नहीं फौरन कुछ करने की जरूरत है |
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !