आनंद बंदेवार/छिन्दवाड़ा। बीजेपी ने सभी अटकलों पर से पर्दा उठाते हुए आखिर लोकसभा चुनाव के लिए नत्थन शाह (NATHAN SHAH KAVRETI BJP CANDIDATE) का नाम घोषित कर ही दिया वर्ना लोगों में तो यह चर्चा शुरू हो गयी थी की शायद नकुलनाथ निर्विरोध ही चुनाव जीत जायेंगे। सूत्रों की माने तो नत्थन शाह कवरेती जिलेभर के लिए कोई बड़ा लोकप्रिय चेहरा नहीं माने जा रहे, लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 में जैसे ही बीजेपी ने उनका नाम घोषित किया, वैसे ही न सिर्फ उनकी पहचान बढ़ गयी बल्कि लोगों में नत्थन शाह के बारे में और जानने की उत्सुकता बढ़ गयी। देखा जाये तो नकुलनाथ की पहचान भी छिंदवाड़ा में उनके काम की वजह से कम और उनके पिता कमलनाथ की वजह से अधिक है। फिर भी सम्भावना है की यह चुनाव छिंदवाड़ा के लिए दिलचस्प रहेगा।
आइये जानते हैं की नत्थन शाह कवरेती कौन हैं? | ABOUT NATHAN SHAH KAVRETI BJP CANDIDATE
पूर्व विधायक नत्थन शाह कवरेती पहले WCL के कर्मचारी थे, उन्होंने BMS के नेता के तौर पर भी काम किया, यह कह सकते हैं की यहाँ से उनके राजनैतिक सफर की शुरुआत हुई। उनका छिंदवाड़ा में स्थानीय निवास ग्राम पं पनारा, डुंगरिया नं 5, जुन्नारदेव है। नत्थन शाह कवरेती के दो भाई हैं जो उनसे छोटे हैं, नत्थन शाह सबसे बड़े हैं, उनके एक भाई रेस्टारेंट चलाते है, और एक छोटे भाई ठेकेदारी करते हैं।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की तामिया परियोजना के अध्यक्ष रहे, योजनाओं की निर्माण की राशि केवल विकास कार्यों में खर्च की है। अभी तक उन पर कोई मामला भी दर्ज नहीं है। उनकी छवि एक कर्मठ नेता की है, लेकिन विधायक रहते हुए उनके द्वारा किये हुए कार्य, उन्हें इस लोकसभा चुनाव में कितना फायदा पहुँचा सकते हैं यह देखने वाली बात है।
उन्होंने विधानसभा प्रभारी के तौर पर भी कार्य किया है, लम्बे अरसे से RSS से जुड़े हुए हैं, और संघ का काम किया है, जानकर बताते हैं कि आज भी नत्थन शाह कवरेती सुबह 5 बजे उठ कर आरएसएस की शाखा अवश्य लगाते हैं। पारिवारिक पृष्ठभूमि देखें तो नत्थन शाह एक साधारण परिवार से ही हैं। वहीँ उनके विपक्ष के उम्मीदवार नकुलनाथ का राजनैतिक अनुभव बहुत अधिक नहीं है लेकिन उनके साथ पिता कमलनाथ की राजनैतिक विरासत और अनुभव है जिसके के आसरे वे चुनाव मैदान में उतरे हैं।
नत्थन शाह को भाजपा ने विधानसभा टिकट नहीं दिया लोकसभा में उतार दिया
हैरानी की बात है की नत्थनशाह पिछली विधानसभा में जुन्नारदेव विधानसभा से विधायक रहे, बावजूद इसके बीजेपी ने उन्हें जुन्नारदेव से दुबारा विधायक का टिकट नहीं दिया। और अब लोकसभा चुनाव में कमलनाथ जैसे दिग्गज नेता की गढ़ मानी जाने वाली सीट से लड़वाकर मुकाबले को एक नया रूप देने की कोशिश की है। बहरहाल इंतेज़ार रहेगा 29 अप्रैल को होने वाले चुनावी मुकाबले का, फिर देखते है की ऊँट किस करवट बैठेगा।