BHOPAL NEWS / आसाराम आश्रम की लीज निरस्त

भोपाल। गांधी नगर स्थित आसाराम आश्रम योग वेदांत समिति गांधी नगर को गोंदरमऊ में आवंटित की गई 4.04 एकड़ जमीन की लीज एडीएम संतोष वर्मा ने निरस्त कर दी है। वहीं, कलेक्टर के अनुमोदन के लिए फाइल भेज दी है। लीज निरस्त होने के बाद यह जमीन शासन के खाते में आ जाएगी। जिसका उपयोग वहां से पीछे की तरफ जाने वाली कॉलोनियों के लोग कर पाएंगे। ताकि इस क्षेत्र में विकास हो सके। इतना ही नहीं शेष जमीन किसी गौ-शाला को देने का प्लान बनाया जा रहा है। कलेक्टर के अनुमोदन के बाद आदेश जनहित में जारी कर दिया जाएगा। बता दें कि लीज निरस्त होने के बाद आसपास के किसानों को पीछे विकसित हो रही कॉलोनियों को रास्ता मिल जाएगा।

बता दें कि एक फरवरी को एडीएम संतोष वर्मा ने इस जमीन का मौका मुआयना किया था। जिसमें पाया गया कि शासन से लीज में जमीन लेकर आश्रम संचालक यहां कीर गाय का तबेला संचालित कर रहे हैं। जिससे होने वाला दूध, दही मक्खन और पनीर बनाकर मार्केट में बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं शासन की जमीन पर खेती की जा रही है। इस तरह शासन के नियमों के अनुसार यह लीज शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है।

12 फीट की हवाई पट्टी में भी था कब्जा

आश्रम के बीच में पुरानी हवाई पट्टी, जिसकी चौड़ाई 12 फीट है, उस पर भी कब्जा किया गया है। इतना ही नहीं नाला और उससे आसपास की जमीन पर भी आश्रम के सेवादारों ने कब्जा कर रखा है। आश्रम में कुल 12 एकड़ जमीन ही आश्रम के नाम है, जबकि पूरा आश्रम 35 एकड़ में बना हुआ है। शासन ने भी जो जमीन लीज पर दी थी उसमें शिव मंदिर, गौशाला, भूसाकक्ष बनाया गया है। कुछ क्षेत्र में चरी (वर्शिम) बोई गई है। वहीं तबेला और टपरे भी बनाए गए हैं।

शिकायत के बाद खुला मामला

शिकायतकर्ता शैलेष प्रधान ने वर्ष 2017 में मुख्य सचिव और संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास मध्यप्रदेश को इस मामले में शिकायत की थी कि आसाराम आश्रम योग वेदांत समिति, गांधीनगर को ग्राम गोंदरमऊ में जो 4.04 एकड़ जमीन एक रुपए प्रतिवर्ष के प्रीमियम पर आवंटित की गई थी। इस जमीन का उपयोग स्कूल व शिक्षण कार्य के लिए होना था, लेकिन इस पर अन्य गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इस शिकायत पर संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास मध्यप्रदेश ने संज्ञान लिया और कलेक्टर भोपाल को जांच के निर्देश दिए। एक साल बाद तहसीलदार संत हिरदाराम नगर ने इसकी जांच पूरी करके दी है। हालांकि, यह जांच रिपोर्ट उस वक्त आई है, जब संत आसाराम को उम्रकैद की सजा हो चुकी है। वहीं, अब सरकार बदलने के बाद एडीएम ने मौका मुआयना किया।

मास्टर प्लान की सड़क बनवाने की थी शिकायत

शिकायतकर्ता शैलेष प्रधान के मुताबिक आसाराम आश्रम द्वारा अन्य किसानों की जमीन पर जाने वाले रास्ते पर कब्जा कर दीवार बना ली गई थी। इस जमीन से मास्टर प्लान में सड़क प्रस्तावित है। शैलेष पिछले पांच साल से दीवार तुड़वाकर सड़क बनवाने के लिए सीमांकन से लेकर अतिक्रमण हटवाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन अब तक अधिकारियों ने अतिक्रमण नहीं तोड़ा है। आश्रम के सेवादारों ने लीज पर आवंटित जमीन को सुरक्षित रखने के लिए दीवार बनाकर रास्ते को रोक दिया है।

आसाराम आश्रम का निर्माण एक नजर में :

- 1983 में आसाराम आश्रम की नींव रखी गई।
- 1986 में आश्रम बनना तैयार हुआ, 1990 तक 12 एकड़ जमीन आश्रम के नाम हुई।
- 2000 में खसरा क्रमांक - 471/1/1 की 1.064 हेक्टेयर जमीन लीज पर ली गई।
- 2005 में खसरा क्रमांक - 471/1/2 रकबा 0.571 हेक्टेयर जमीन लीज पर ली गई।
- आश्रम संचालन और शिक्षा के लिए ली थी 4 एकड़ जमीन ली गई, लेकिन इसमें तबेला बना हुआ है।
- इसकी जगह गुरूकुल नामक संस्थान किसी अन्य जमीन पर बना लिया गया। जिसमें एमपी बोर्ड और सीबीएसई माध्यम से बधाों को पढ़ाया जा रहा है।
- एमपी बोर्ड के गुरुकुल में 35 बच्चे और सीबीएसई में अब भी 300 बच्चे पढ़ रहे हैं, ऐसा सेवादारों का कहना है।
- 2017 से शिकायतों का दौर शुरू हुआ। अब 2019 में एडीएम ने आश्रम का निरीक्षण किया इससे पहले आरआई और पटवारी सहित एसडीएम और तहसीलदार भी निरीक्षण कर चुके हैं।

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कलेक्टर के अनुमोदन के लिए भेजी है फाइल

आश्रम की लीज निरस्त कर दी गई है। फाइल कलेक्टर के अनुमोदन के लिए भेजी गई है। वहां से फाइल आने पर आदेश जारी कर दिया गया जाएगा।
संतोष वर्मा, एडीएम, भोपाल

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