कर्जदार सरकार के वित्तमंत्री: बंगले के रेनोवेशन पर 50 लाख खर्च | MP NEWS

भोपाल। यदि किसी प्रदेश का वित्तमंत्री ही ऐसा हो तो सरकारी खजाने का क्या होगा। मप्र की सरकार पर अब करीब 2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। मध्यप्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति पर करीब 40 हजार रुपए का अतिरिक्त टैक्स भार आने वाला है। सरकार ने वित्तीय हालत के नाम पर कई जरूरी काम यहां तक कि कर्मचारियों के वेतन तक अटका रखे हैं परंतु उसी कर्जदार सरकार के वित्तमंत्री अपने बंगले के रेनोवेशन पर सरकारी खजाने से 50 लाख रुपए खर्च कर रहे हैं। बताने की जरूरत नहीं कि यह रकम इतनी है, जिसमें 10 परिवारों के लिए ईडब्ल्यूएस आवास बनकर तैयार हो जाते हैं। 

भोपाल की सबसे पाश कालोनी चार इमली, जहां मंत्री और आला अफसरों के बंगले हैं लेकिन इन सब बंगलों की चमक जल्द ही इसी क्षेत्र के बी-16 बंगले के आगे फीकी साबित होने वाली है। क्योंकि इस बंगले के रेनोवेशन पर दो-चार-दस लाख नही बल्कि पचास लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च हो रही है। इस सरकरी आवास की रौनक तब भी कायम थी, जब यहां सीबीआई के मौजूदा चीफ और पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला रहा करते थे लेकिन अब ये सरकारी आवास प्रदेश के खजाने के मालिक वित्त मंत्री तरुण भनोट को मिला है और भनोट ने यहां शिफ्ट होने से पहले अफसरों को अपनी जरुरतों की लंबी लिस्ट थमा दी। अब जबकि वित्तमंत्री तरुण भनोट ही है तो मंजूरी रोकने की हिम्मत कौन करता। 

यहां काम कर रहे ठेकेदार के मुताबिक बंगले में होने वाले नये निर्माण और रेनोवेशन पर पचास लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा। एक तरफ जहां प्रदेश के मुखिया वित्तीय अनुशासन की वकालत कर रहे है, तो वहीं दूसरी ओर सरकार के खजाने को भरने का जिम्मा संभालने वाले वित्त मंत्री तरुण भनोट सरकारी खजाने को खाली करने में लगे हैं। 

वित्त मंत्री तरुण भनोट का मैनेजमेंट देखिए

- कांग्रेस सरकार अब तक पांच बार कर्ज ले चुकी है। 
- कमलनाथ सरकार 16 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज ले चुकी है
- सरकार ने अब तक आय बढ़ाने के किसी भी विकल्प पर काम शुरू नहीं किया है। 
- निकट भविष्य में और अधिक कर्ज लेना पड़ेगा। 
- मध्यप्रदेश करीब 2 लाख करोड़ के कर्ज में डूबने जा रहा है। 
- आय बढ़ाने के लिए नए विकल्पों की तलाश हेतु एक अदद मीटिंग भी वित्तमंत्री ने नहीं की। 
- वित्तमंत्री ने एक भी बयान नहीं दिया कि वो कर्जदार सरकार को बिना टैक्स बढ़ाए मुनाफे में केसे लाएंगे। 

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