BSNL कर्मचारी मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद, हड़ताल का ऐलान | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की संचार कंपनी  भारत संचार निगम लिमिटेड के कर्मचारी, अधिकारी नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। उन्होंने 18 फरवरी से तीन दिनों की हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। इन तीन दिनों में सभी कार्यालय, भवनों एवं दूरभाष केंद्रों पर ताले रहेंगे। ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ बीएसएनएल (एयूएबी) के बैनर तले लगभग 1 लाख 75 हजार कर्मचारी, अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे। बता दें कि लगातार घाटे के नाम पर मोदी सरकार बीएसएनएल को बंद करने या इसका निजीकरण करने पर विचार कर रही है। 

एयूएबी के प्रवक्ता ताहिर हुसैन ने बताया कि बीएसएनएल अधिकारी व कर्मचारी लंबे समय से सरकार की कॉर्पोरेट परस्त और कर्मचारी विरोधी, पीएसयू विरोधी और जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हुए अपनी मांगों के निराकरण के लिए बीएसएनएल मैनेजमेंट और सरकार के खिलाफ संघर्षरत कर रहे है। जिन मांगों को लेकर बीएसएनएलकर्मी हड़ताल पर रहेंगे उन मांगों में 15 प्रतिशत फिटमेंट के साथ तीसरे पे रिवीजन का निराकरण, बीएसएनएल मैनेजमेंट द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव अनुसार बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, संचार राज्य मंत्री द्वारा पेंशन रिवीजन को पे रिवीजन से पृथक करने के आश्वासन का क्रियान्वयन करने, 1-1-2017 से बीएसएनएल रिटायरिज का पेंशन रिवीजन करने, 

गवर्नमेंट के नियम अनुसार बीएसएनएल द्वारा पेंशन कॉन्ट्रिब्यूशन का भुगतान, द्वितीय पे रिवीजन कमिटी के शेष मुद्दों का निराकरण, बीएसएनएल की भूमि प्रबंधन नीति का बगैर देरी किए शीघ्र अनुमोदन, बीएसएनएल की स्थापना के समय लिए गए निर्णय अनुसार नाम परिवर्तन की और सभी संपत्ति बीएसएनएल को स्थानांतरित करने की कार्यवाही त्वरित पूर्ण की जाए, बीएसएनएल की स्थापना के समय ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स द्वारा लिए गए निर्णय अनुसार बीएसएनएल की वित्तीय जीवंतता सुनिश्चित करने, बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर्स का आउटसोर्सिंग के माध्यम से संचालन व रखरखाव का प्रस्ताव रद्द करना प्रमुख है।

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