रिटा. IPS शुक्ला ने आदिवासी कन्याओं के लिए 1 करोड़ दिए, जबकि उनके नेता ब्राह्मणों से नफरत करते हैं | BHOPAL NEWS

भोपाल। हजारों साल का लम्बा इतिहास पलटकर देख लीजिए, मध्यप्रदेश में कभी भी जातिवाद प्रभावी नहीं हुआ परंतु 2018 में जातिवाद की लकीरें स्पष्ट नजर आईं। आरक्षित जाति के नेताओं ने सवर्णों को अपना स्वभाविक शत्रु बताया। अपनी जाति के आम लोगों को बार-बार समझाया कि ब्राह्मण उनके सबसे बड़े शत्रु हैं। ब्राह्मण नहीं चाहते कि वो गरीबी और बुरे हालातों से बाहर निकलें। पहली बार ब्राह्मणों ने इसका जवाब देने की कोशिश भी की परंतु ब्राह्मणों में उनके प्रति दुर्भावना आज भी नहीं है। रिटायर्ड IPS अधिकारी महेंद्र शुक्ला ने निर्धन आदिवासी छात्राओं के लिए आपातकाल के लिए जमा किए गए धन में से 1 करोड़ रुपए दान कर दिए ताकि वो पढ़ सकें, आगे बढ़ सकें। 

Bungalow बेचकर आपातकाल के लिए जमा कर रखे थे पैसे

भोपाल के पत्रकार श्री मनोज जोशी की रिपोर्ट के अनुसार धर्मकुंडी गांव होशंगाबाद मूल के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी महेंद्र शुक्ला जो अब भोपाल में रहते हैं ने एक करोड़ रुपए दान कर दिए ताकि होशंगाबाद जिले में अपने गांव की आदिवासी छात्राओं के लिए हॉस्टल बन जाए। इस राशि से होशंगाबाद जिले के ग्राम दुप्पन में एक हॉस्टल बन रहा है। शुक्ला ने ई-3 अरेरा कॉलोनी स्थित बंगला बेचकर खुद के रहने के लिए छोटा सा फ्लैट खरीद लिया। शेष राशि भविष्य की जरूरत के हिसाब से फिक्स डिपॉजिट कर रखी थी। दो साल पहले 75 वीं वर्षगांठ पर पत्नी आशा शुक्ला के कहने पर उन्होंने 75 लाख रुपए की पहली किस्त दान कर दी। यहां सेवा भारती हॉस्टल का निर्माण कर रही है। सेवा भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रामेंद्र सिंह के अनुसार शुक्ला दंपती से शेष 25 लाख रुपए भी मिल चुके हैं। छात्रावास के निर्माण पर कुल ढाई करोड़ रुपए खर्च होंगे। 

बिलासपुर में JOB के दौरान जो देखा उसने जिंदगी ही बदल दी

शुक्ला 1982 में बिलासपुर (अब छग) में डीआईजी थे। उस दौरान वे गांवों का दौरा करने जाते थे। कई बार पत्नी भी साथ में रहती थीं। वे बताती हैं कि उस समय उन्होंने देखा कि तीन-तीन आदिवासी महिलाएं बारी-बारी से एक ही कपड़ा पहन कर बाहर आती हैं। इस गरीबी से मन व्यथित हो गया। इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने आदिवासी क्षेत्र में सेवा करने का निर्णय लिया। उन्होंने मप्र और छग से लेकर सुदूर उत्तर- पूर्व और कश्मीर के वनांचलों में एकल विद्यालय शुरू किए।

Old age home / वृद्धाश्रम के खर्चे भी उठाते हैं

2002 में रिटायर होने पर वे अपने गांव धर्मकुंडी पहुंचे, वहां संकल्प लिया कि अब अपनी जन्मस्थली के लिए कुछ करेंगे। फिर भोपाल में बस गए। यहां पत्नी आनंदधाम वृद्धाश्रम से जुड़ गईं। आनंद धाम और सेवा भारती के कई छोटे-बड़े खर्चे शुक्ला दंपती पूरे करते हैं।

पत्नी ने 75वीं BIRTHDAY पर मांग लिए थे 75 लाख

2016 में महेंद्र शुक्ला की 75वीं वर्षगांठ थीं। आशा शुक्ला बताती हैं एक दिन सुबह घर में भगवान की आरती के करते हुए उन्हें 2002 में लिया संकल्प याद आया। उन्होंने पति से कहा - ‘आप अपनी 75वीं वर्षगांठ पर अपने गांव में हॉस्टल बनाने के लिए 75 लाख रुपए नहीं दे सकते क्या?’ इस पर पति ने कहा कि यह राशि उन्होंने आपात स्थिति के लिए रखी है। इस पर आशा ने कहा कि अपने जीवन में ऐसी आपात स्थिति नहीं आएगी। हम दोनों अंतिम समय तक स्वस्थ रहेंगे।’ इस पर शुक्ला 1 करोड़ देने पर सहमत हो गए। उसी दिन शाम 4 बजे तक उन्होंने 75 लाख का चेक सौंप दिया। कुछ दिन बाद 25 लाख रुपए भी दे दिए।

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