Akash Anand BSP कौन है, हमेशा मायावती के साथ क्यों रहते हैं | NATIONAL NEWS

बहन मायावती 63 साल की हो गईं हैंं। इन दिनों उनके साथ एक हैंडसम बॉय नजर आ रहा है। नाम है आकाश आनंद। लोग जानना चाहते हैं कि ये लड़का कौन है, हमेशा मायावती के साथ क्यों रहता है और क्या बसपा में भी उसका कोई दखल या भविष्य है। आइए जानते हैं आकाश आनंद से जुड़े सभी सवालों के जवाब: 


  • मायावती का साया बनकर रहने वाला यह नौजवान कोई और नहीं बल्कि उनका सगा भतीजा आकाश है। 
  • आकाश, मायावती के छोटे भाई आनंद का बेटा है। 
  • मायावती शुरू से ही अपने भाई आनंद से काफी लगाव रखतीं हैं। 
  • पूर्व में आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसा अहम पद तो सौंपा था। 
  • हालांकि, आनंद इन दिनों संगठन में किसी पद पर नहीं हैं लेकिन उनके बेटे आकाश अब मायावती के साथ पूरी तरह से सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।
  • 12 जनवरी 2019 को सपा से गठबंधन का मौका रहा हो या मायावती की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात या फिर मंगलवार को जन्मदिन, सभी अवसर पर आकाश आनंद, बुआ मायावती के साथ ही आए। 
  • जन्मदिन पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में आकाश नीले रंग के सूट में नजर आए। 
  • माना जा रहा है कि मायावती, आकाश आनंद के रूप में अपना उत्तराधिकारी तैयार कर रहीं हैं। 
  • पहले-पहल आकाश उनके सहारनपुर हिंसा के मद्देनजर किए गए दौरे में दिखे थे। 
  • मेरठ में आयोजित रैली के सार्वजनिक मंच पर भी आकाश को मायावती के साथ देखा गया था। 
  • पार्टी पदाधिकारियों की लखनऊ-दिल्ली की बैठक में मायावती भाई आकाश का परिचय सभी से करा चुकी हैं। 
  • मायावती ने बताया कि आकाश लंदन से एमबीए करके लौटा है। 
  • उसे कोई पद सौंपे बिना मायावती ने कहा है कि कि आकाश पार्टी का काम देखेगा।
  • बसपा में कोई युवा फ्रंटल संगठन नहीं है जबकि चुनाव में युवाओं की अहम भूमिका देखी जा रही है। 
  • पूर्व के कई चुनाव में बसपा की हार के पीछे युवाओं के पार्टी से न जुड़ने को भी माना जा रहा है। 
  • सूत्र बताते हैं कि आकाश को सामने लाने के पीछे मायावती की दलित युवाओं को पार्टी की ओर लुभाने की मंशा भी है। 
  • ऐसा करके मायावती दलित युवाओं के बीच पैदा हुए कई सारे संगठनों को जवाब दे रहीं हैं। 

पहले राजाराम को वारिस माना गया था
वर्ष 2014 में मायावती ने जब राज्यसभा के उम्मीद्वार के तौर पर आजमगढ़ के रहने वाले राजाराम का नाम घोषित किया, तब उन्हें मायावती के राजनीतिक वारिस के तौर पर देखा गया। राजाराम वर्ष 2008 के बाद दूसरी बार राज्यसभा सांसद बनने से पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व कई राज्यों के प्रभारी भी रहे। वर्ष 2007 में बहुमत की सरकार बनाने के बाद की रैली में मायावती ने एलान किया था कि उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी सजातीय, उम्र में उनसे करीब 15 साल छोटा होगा लेकिन उनके परिवार का नहीं होगा। इस पर उस समय राजाराम को लेकर अफवाह भी उड़ी कि कहीं राजाराम ही तो उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं।

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