2 अप्रैल हिंसा मामला: 5000 मामले वापस लेने वाली है KAMALNATH सरकार | MP NEWS

ग्वालियर। एट्रोसिटी मामले में 2 अप्रैल को हुई जातीय हिंसा में देशभर में उपद्रव हुआ था। इस आग में सबसे अधिक ग्वालियर-चंबल अंचल झुलसा था। हिंसा के दौरान जिले में तीन लोगों सहित सात लोगों की जान गई थी। पुलिस ने ग्वालियर-चंबल अंचल में पांच हजार से अधिक प्रकरण तोड़फोड़, आगजनी, पथराव, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, हत्या व हत्या के प्रयास के दर्ज किए थे।

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वादे के अनुसार दर्ज प्रकरणों को वापस लेने का फैसला किया है। कैबिनेट ने दो अप्रैल की जातीय हिंसा के साथ ही पिछले 15 साल में कांग्रेसियों व बसपाइयों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने का निर्णय लिया है। जिला प्रशासन व पुलिस अधिकारियों को प्रकरण वापस लेने के लिए भोपाल से गाइड लाइन जारी होने का इंतजार है।

एट्रोसिटी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुसूचित जनजाति वर्ग ने दो अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था। शहर बंद कराने के लिए बंद समर्थकों ने सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान भीड़ ने शहर में तोड़फोड़, आगजनी, पथराव, निजी व शासकीय संपत्तियों को जमकर नुकसान पहुंचाया। उपद्रवियों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस को भी भागना पड़ा। इसके बाद दूसरा वर्ग भी हथियार लेकर सड़कों पर आ गया। थाटीपुर में हुई गोलीबारी में दो युवकों की मौत हो गई, जबकि एक युवक की डबरा में मौत हुई।


शहर में हुई थी 2 युवकों की मौत
उपद्रव के दौरान हुई फायरिंग में राकेश पुत्र नेतराम टमोटिया निवासी गल्ला कोठार व दीपक जाटव की गोली लगने से मौत हुई थी। दीपक की गोली मारकर हत्या करने का आरोप योगेश उर्फ बॉवी तोमर पर लगा। जबकि राजा तोमर के खिलाफ धारा 308 के तहत थाटीपुर थाने में प्रकरण दर्ज हुए। दोनों हत्या के मामले थाटीपुर थाने में दर्ज हुए। हिंसा के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में पुलिस ने वीडियोग्राफी, समाचार पत्रों में छपे फोटो, सोशल मीडिया पर वायरल हुए उपद्रवियों के वीडियो से पहचान कर अंचल में 5 हजार से अधिक प्रकरण दर्ज किए। वहीं जिले में 2200 से अधिक लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें 800 लोगों के खिलाफ प्रकरण डबरा में दर्ज हुए थे।


लाखन पर दर्ज मामले वापस होंगे?
एस-3 के प्रमुख लाखन सिंह बौद्ध के खिलाफ भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने, हत्या के प्रयास सहित मुरार व थाटीपुर थाने में 30 से अधिक मामलों में चुनाव से पहले गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत जेल भेज दिया था। अब सवाल उठता है कि क्या लाखन सिंह बौद्ध पर दर्ज हुए मामले वापस होंगे।


दर्ज केसों की कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से मांगी जानकारी
राजनीतिक दुर्भावना के कारण पिछले 15 साल में पुलिस ने कब और कितने प्रकरण दर्ज किए, कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से इसकी जानकारी मांगी है। सरकार ने ऐसे मामले वापस लेने की घोषणा की है। इसे देखते हुए शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा ने एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा है कि जनसमस्याओं सहित अन्य मामलों को लेकर धरना-प्रदर्शन करने पर भाजपा शासनकाल में कार्यकर्ताओं पर मुकदमे दर्ज किए गए, इसलिए कार्यकर्ता कार्यालय में आकर ऐसे मामलों की विस्तृत जानकारी दे सकते हैं। कार्यकर्ता को थाने का नाम, प्रकरण कब और क्यों दर्ज किया गया, लिखित में तीन प्रतियों में देना होगा। एक प्रति शासन को और एक जिला स्तर पर गठित समिति को भेजी जाएगी।


उल्लेखनीय है कि गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ टिप्पणी करने पर कांग्रेसियों ने पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के निवास पर प्रदर्शन किया था। इस मामले में 2016 में 87 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। इससे पहले जनवरी 2011 में आनंद नगर में राज्यसभा सदस्य प्रभात झा से एक कार्यक्रम में टकराव हुआ था। इस मामले में भी करीब एक सैकड़ा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। वहीं लोको रोड पर एक मकान की तुड़ाई का विरोध करने पर पूर्व विधायक (अब मंत्री) प्रद्युम्न सिंह तोमर सहित एक दर्जन कांग्रेसियों को जेल भेजा गया था। कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार शर्मा ने बताया कि पिछले 15 साल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर एक सैकड़ा से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।


इनका कहना है
सरकार चाहे तो जनहित में किसी का भी केस वापस ले सकती है। सीआरपीसी में केस वापस लेने का प्रावधान है। जिस केस को वापस लिया जा रहा है, मामला गंभीर अपराध से जुड़ा नहीं होना चाहिए। केस वापस लेने के लिए सरकार को कोर्ट में आवेदन पेश करने होंगे। न्यायालय के विवेक पर निर्भर करेगा कि केस वापस करना है या नहीं- जगदीश शर्मा, पूर्व लोक अभियोजक ग्वालियर


सरकार की नौटंकी है
कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं से केस वापस लेने की नौटंकी कर रही है। गंभीर अपराध के केस वापस नहीं होते हैं। हमारे ऊपर भी केस दर्ज थे, हमने भी उनका सामना किया है- देवेश शर्मा, जिला अध्यक्ष भाजपा



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