ड्रोन रजिस्ट्रेशन और परमिट के लिए यहां APPLY करें, अब सबके लिए ओपन | GADGETS

नई दिल्ली। यदि आप शादी-ब्याह में ड्रोन से फोटोग्राफी कराने की मंशा रखते हैं तो अब आसानी से ऐसा संभव होगा। क्योंकि सरकार ने शनिवार से ड्रोन का आधिकारिक पंजीकरण प्रारंभ कर दिया है। इसे लिए एक पोर्टल की शुरुआत की गई है। इसके जरिए ड्रोन के पंजीकरण के अलावा डीजीसीए से आपरेटर परमिट तथा यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर प्राप्त कर ड्रोन उड़ाने की कानूनी अनुमति प्राप्त की जा सकती है।

नैनो छोड़ सबके लिए Registration and operator Permit जरूरी


इससे पहले सरकार ने अगस्त में ड्रोन उड़ाने की नीति और नियम जारी किए थे। इसके अनुसार ड्रोन को पांच श्रेणियों में बांटा गया है: नैनो, माइक्रो, स्मॉल, मीडियम और लार्ज। सभी के लिए पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन नैनो को छोड़ बाकी श्रेणियों के ड्रोन उड़ाने के लिए पंजीकरण के अलावा आपरेटर परमिट और यूएएन भी जरूरी है। ड्रोन को तकनीकी भाषा में रिमोटली पायलटेड एरियल सिस्टम्स (आरपास) कहा जाता है। डिजिटल स्काई प्लेटफार्म के जरिए इनकी मंजूरी की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है। इसका मूलमंत्र 'अनुमति नहीं तो उड़ान नहीं' (नो परमिशन, नो टेक-ऑफ) है।

ड्रोन उड़ाने की अनुमति के लिए पोर्टल लांच / Portal launch to allow drone blows

डिजिटल स्काई पोर्टल लांच होने से नैनो श्रेणी के ड्रोन को अभी से उड़ाना संभव हो गया है। परंतु माइक्रो, स्माल, मीडियम तथा लार्ज श्रेणी के ड्रोन उड़ाने के लिए डीजीसीए से अनमैन्ड एरियल आपरेटर परमिट (यूएओपी) और यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूआइएन) लेने तथा अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के कारण कुछ समय लग सकता है। इनके शुल्क का भारत कोष पोर्टल के माध्यम से करने की व्यवस्था की गई है।

प्रत्येक ड्रोन के उड़ान की अनुमति के लिए ड्रोन आपरेटर को अपना फ्लाइट प्लान देना होगा। 'ग्रीन जोन' में उड़ान भरने के लिए केवल फ्लाइट के समय और स्थान की सूचना देना काफी है। परंतु 'येलो जोन' के लिए अनुमति आवश्यक होगी। जबकि 'रेड जोन' पूरी तरह उड़ान निषिद्ध क्षेत्र है। इन जोन के स्थानों की घोषणा शीघ्र की जाएगी। येलो जोन के बारे में अनुमति पोर्टल पर ही ऑनलाइन ली जा सकती है।

विमानन मंत्रालय ने मौजूदा ड्रोन आपरेटरों को निर्माताओं से अपने ड्रोन में एपीएनटी अनुकूल नवीनतम फर्मवेयर लगवाने के साथ-साथ दूरसंचार विभाग के डब्लूपीसी विंग से इक्विपमेंट टाइप अप्रूवल लेने को कहा है। जबकि नए आपरेटरों को एनपीएनटी युक्त ड्रोन खरीदने की सलाह दी गई है।

नागरिक विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा भारत ड्रोन के क्षेत्र में अग्रणी स्थिति हासिल करेगा। सरकार दुनिया भर के देशों के साथ मिलकर इनके लिए साझा मानक विकसित करेगा। 'मेक इन इंडिया' के तहत ड्रोन के निर्माण, निर्यात एवं सर्विस की असीम संभावनाएं हैं। विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा का कहना था कि हमारा मकसद भारत में दस लाख ड्रोन उड़ाना है।

DRONE के प्रकार: नैनो, माइक्रो, स्माल, मीडियम और लार्ज


नैनो: अधिकतम वजन 250 ग्राम, दिन में जमीन से 50 फीट ऊंचाई तथा दृष्टि सीमा के भीतर उड़ान की अनुमति
माइक्रो: 250 ग्राम-दो किलो तक, दिन में 200 फीट ऊंचाई व दृष्टि सीमा तक उड़ान, सुरक्षा व खुफिया वीडियोग्राफी में प्रयोग
स्माल: 2 किलो-25 किलो तक, दिन में 400 फीट ऊंचाई व दृष्टि सीमा में, शादी-ब्याह की फोटोग्राफी के साथ व्यापारिक प्रयोग
मीडियम: 25 किलो-150 किलो तक, 400 फीट ऊंचाई व दृष्टि सीमा में, कृषि एवं औद्योगिक प्रयोग
लार्ज: 150 किलो से अधिक, 400 फीट व दृष्टि सीमा के भीतर, औद्योगिक इस्तेमाल। 
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