प्रदेश अध्यक्ष: CONGRESS में नए की तलाश शुरू, BJP में नए की मांग शुरू | MP NEWS

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भोपाल। मध्यप्रदेश में सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं बदल रहे, बल्कि प्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ बदल रहा है। कांग्रेस में तो पूरा संगठन ही बदलेगा। कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष हैं। यदि वो सीएम बनते हैं तो नया प्रदेश अध्यक्ष चाहिए और वो भी ऐसा जो लोकसभा चुनाव 2019 में जीत दिला सके। नए नाम की तलाश शुरू हो गई है लेकिन इसके साथ ही भाजपा में भी नए प्रदेश अध्यक्ष की मांग शुरू हो गई है। हार के कारणों में एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि राकेश सिंह संगठन को सक्रिय नहीं कर पाए। 

कांग्रेस में कितने विकल्प / How many choices in Congress

फिलहाल कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर विचार चल रहा है। यदि सीएम कमलनाथ बनते हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहेंगे कि प्रदेश अध्यक्ष उनका हो जबकि पार्टी में सिंधिया के खिलाफ 90 विधायकों का समर्थन हासिल करने वाले कमलनाथ यह कतई नहीं चाहेंगे। दिग्विजय सिंह ने पिछले 1 साल में संगठन ने लिए काफी काम किया है तो क्या दिग्विजय सिंह प्रदेश अध्यक्ष के पद पर फिर से काम करना पसंद करेंगे। इसके अलावा अजय सिंह एक नाम है क्योंकि वो चुरहट से चुनाव हार चुके हैं और अब बेरोजगार हैं। नाम तो सुरेश पचौरी भी है परंतु बस लिस्ट में नाम बढ़ाने के लिए ही कहा जा सकता है। सिंधिया के पास रामनिवास रावत एक बड़ा नाम है। वो भी विजयपुर से चुनाव हार चुके हैं और अजय सिंह की तरह बेरोजगार हैं। इसके अलावा वो कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। जीतू पटवारी अच्छा नाम है परंतु उम्मीद कम है क्योंकि वो मंत्रीमंडल में जाना चाहेंगे। 

BJP में क्या चल रहा है


सीएम शिवराज सिंह द्वारा इस्तीफा देने और हार की सारी जिम्मेदारी स्वयं लेने के बद उनके प्रति सहानुभूति का माहौल बन गया है। हार के कारण तलाशो जा रहे हैं। सबसे पहला कारण शिवराज सिंह के नजदीकी घमंडी नेता और चापलूस अफसर हैं परंतु दूसरा बड़ा कारण प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी हैं। राकेश सिंह ने प्रदेश भर का दौरा कर अपना स्वागत तो करवाया परंतु कार्यकर्ताओं को चुनाव में सक्रिय नहीं कर पाए। बागियों को मनाने के मामले में भी राकेश सिंह सफल नहीं हुए। वो बस पार्टटाइम प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में नजर आए। नरेंद्र सिंह तोमर और प्रभात झा की तरह संगठन पर राकेश सिंह की पकड़ ना तो बन पाई और ना ही वो ऐसी कोई कोशिश कर पाए। नंदकुमार सिंह चौहान को हटाकर राकेश सिंह को लाने का वो फायदा संगठन को तो कतई नहीं हुआ जिसके लिए नंदकुमार सिंह को बदलने की मांग की गई थी। अब भाजपा नेता भी कहने लगे हैं कि यदि 2019 की सम्मान बचाना है तो संगठन और सदन में नेता का चयन सोच समझकर करना होगा। 
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