रास पूनो 24/10 को: जानिए इसका महत्व और पूजा विधि और चमत्कारी फल

Bhopal Samachar
करवाचौथ से पहले 24 अक्टूबर को रास पूनो यानि रास पूर्णिमा व शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। हिन्दू मान्यता के अनुसार पूरे साल में केवल इसी दिन चंद्रमा पोडष कलाओं का होता है। धर्मशास्त्र में इस दिन को कोजागरा व्रत और कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इस दिन को रास पूनो क्यों कहते हैं, ये किस्सा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण को कार्तिक स्नान करते समय स्वयं को पति रूप में प्राप्त करने की कामना से देवी पूजन करने वाली महिलाओं को चीर हरण के अवसर पर दिए वरदान की याद आई थी और भगवान श्रीकृष्ण ने मुरली बजाते हुए यमुना तट पर गोपियों के संग रास रचाया था। 

हिन्दू धर्म में क्या है "रास पूनो" का महत्व- 

हिंदू धर्म में रास पूनो की बहुत महत्व है। इस तिथि से शरद ऋतु का आगमन होता है। इस दिन चंद्रमा संपूर्ण और 16 कलाओं से युक्त होता है। एक खास बात यह भी है कि माना जाता है इस दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो हमें धन, प्रेम और सेहत का अनमोल तोहफा देती है। इसे कई जगह अमृत वर्षा वाली पूनो भी कहा जाता है। 

कैसे करें कौमुदी व्रत -

पूर्णिमा के दिन सुबह ईष्ट देव का पूजन करें। इंद्र और महालक्ष्मी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर गंध पुष्प आदि से पूजा करें। ब्रह्मणों को खीर खिलाएं और दान दक्षिणा भी दें। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए खासतौर से इस व्रत को किया जाता है। इा दिन जागरण करने वाले लोगों की धन-संपत्ति बढ़ती है। रात को चंद्रमा को अर्घ देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है, इसलिए अमृत वाली इस खीर को मंदिर में दान करने का विधि -विधान है। 

कैसे करें शरद पूर्णिमा की पूजा-

# इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके मां लक्ष्मी को कमल का फूल, नारियल, मखाना, मिश्री, लांग, इलायची, मीठा पान और लाल वस्त्र जस्से चुनरी अर्पण कर उनकी पूजा करनी चाहिए।
# इस दिन गुलाबी, पीले या सफेद वस्त्रों में लाल या गुलाबी आसन पर बैठकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके घी का दीपक जलाएं और मां लक्ष्मी का मंत्र जपें। ओम ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः। 

# शरद पूनो के दिन दक्षिणावर्ती शंख की पूजा भी करनी चाहिए। माना जाता है कि ये शंख मां का प्रिय है। इस दिन शंख को तिलक लगाकर, धूप बत्ती जलाकर और फूल चढ़ाकर पूजा करें। माना जाता है कि जिस घर में इस दिन शंख की पूजा होती है मां उस घर से कभी नहीं जातीं। वहीं अगर दक्षिणवर्ती शंख में जल भरकर मां का अभिषेक करने पर मां प्रसन्न रहती हैं।
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