दिवाली की इन प्रथाओं में छिपे हैं जीवन के रहस्य

Bhopal Samachar
दिवाली नजदीक है। घरों और बाजारों में इसकी तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। हर साल दिवाली एक नई उम्मीद और रोशनी की किरण लेकर आती है। ये सभी को साथ जोड़े रखना का एक अद्भुत पर्व है। दिवाली पर हमारे यहां कई प्रथाएं हैं, जैसे पटाखे फोडऩा, मिठाईयां बांटना, दीपक जलाना आदि जो सालों से चली आ रही हैं और आगे भी चलती रहेंगी। लेकिन असल जिन्दगी में इन प्रथाओं के कई मायने हैं। दिवाली की इन प्रथाओं में जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं। तो चलिए जानते हैं इन प्रथाओं के हमारे जीवन में क्या हैं मायने। 

दीप जलाना
भगवान श्रीराम जब वनवास से लौटकर आए थे, तब उनकी आने की खुशी में दीप जलाए गए थे। लेकिन हमारे जीवन में दीप जलाने का बड़ा महत्व है। जिस तरह दीपक की बाती को जलने के लिए उसे तेल में डुबोना पड़ता है और थोड़ा बाहर भी छोडऩा पड़ता है, उसी तरह हमारा जीवन में दीपक की बाती के समान है। अगर तुम पदार्थ जीवन में डूबे हो, जो जीवन में ज्ञान और आनंद कभी नहीं ले पाओगे, लेकिन अगर सांसारिक माया से ऊपर उठे तो आनंद और ज्ञान के ज्योति प्रकाश बन सकते हैं। 

फटाखे फूटना
जीवन का एक और गूढ़ रहस्य दिवाली के पटाखों के फूटने में है। जीवन में कई बार आप पटाखों के समान अपनी दबी हुई भावनाओं और क्रोध के कारण बस फूटने के लिए तैयार रहते हैं। पटाखे फोडऩे की प्रथा हमारे पूर्वजों द्वारा, लोगों की दबी हुई भावनाओं से मुक्ति पाने का एक सुंदर मनोवैज्ञानिक उपाय है। 

मिठाईयों और उपहारों का आदान-प्रदान
दिवाली की मिठाईयों और उपहारों के आदान प्रदान के पीछे भी एक मनोवैज्ञानिक पहलू है। पुरानी गलतफहम के कारण कड़वाहट को पीछे छोड़ रिश्तों को मजबूत बनाओ। सेवाभाव के बिना हर त्योहार अधूरा है, इसलिए भगवान ने हमें जो कुछ भी दिया है, उसे हमें सबके साथ बांटना है। जितना बांटेंगे उतनी ही कृपा बरसेगी। सही मायने में ये ही दीपावली का उत्सव है।
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