BSP ने क्यों झटक दिया कांग्रेस का हाथ: इसके तीन कारण हैं | MP ELECTION NEWS

वीरेंद्र बंसल/ग्वालियर। बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस को बाय-बाय कर दिया। सवाल उठता है कि आखिर उन्होंने ये फैसला क्यों लिया? इसका एक बड़ा कारण सामने आया। वो ये कि पिछले चुनाव में 2 सीटें जीतने वाली बसपा की ताकत इस बार 11 सीटों पर बढ़ी है। इसके भी तीन कारण हैं- सपाक्स व दलित आंदोलन, भाजपा में स्थानीय एंटी इंकम्बेंसी और अंतिम समय में बदली रणनीति। रणनीति इसलिए अहम है क्योंकि बसपा 10 साल पुरानी ताकत हासिल करने के लिए कांग्रेस-भाजपा के बागियों पर नजर गढ़ाए हुए है। पहले चरण में उसने उन सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, जहां उसका संगठन मजबूत है। दूसरे चरण में भाजपा-कांग्रेस के दमदार बागी नेताओं को अपने पाले में करने की तैयारी है। 

बसपा को बागियों की तलाश
ब्राह्मण-ठाकुर, वैश्य वोटर को ध्यान में रखकर बसपा ऐसे चेहरे तलाश रही है जो उसके मूल वोट बैंक के साथ चुनाव को अपने पक्ष में करने की क्षमता रखते हैं। श्योपुर में मीणा (रावत) बिरादरी के नेता, ग्वालियर ग्रामीण में गुर्जर, कोलारस में यादव, पोहरी में कुशवाह, दिमनी में क्षत्रिय समाज का बाहुल्य है। यहां बागियों को टिकट दिए तो बसपा को एक-दो सीटें ज्यादा मिल सकती हैं।

तीन बिंदुओं पर चुनाव 
बसपा की मौजूदा सीट अंबाह व दिमनी में हालत खराब है। इन सीटों पर परंपरागत वोटर के बिखराव को रोकने के लिए मायावती की सभा कराने की योजना है। चुनाव की तारीखों के एेलान के बाद मायावती की ग्वालियर में एक, मुरैना व भिंड में एक-एक सभा हो सकती हैं। जिन सीटों पर पिछले चुनाव में बसपा दूसरे स्थान पर थी, विशेषकर भिंड, मुरैना, सुमावली में जातिगत गणित को ध्यान में रखकर उम्मीदवार ढूंढे जा रहे हैं। 

बसपा का 2013 में परफॉर्मेंस
बसपा ने अंबाह (आरक्षित) और दिमनी (अनारक्षित) जीती थी। श्योपुर, सुमावली, मुरैना और भिंड में दूसरे स्थान पर रही। इन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी जीते और कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी। आठ सीटों पर बसपा तीसरे स्थान पर रही। 

इस सीटों पर है मायावती की नजर
भिंड - एंटी इंकम्बेंसी से भाजपा का वोटर नाराज है। इसलिए भाजपा के पूर्व सांसद के बेटे को बसपा ने टिकट दिया।
अंबाह - जीत बरकरार रखने के लिए यहां मायावती और बड़े नेताओं की सभा कराने की रणनीति तय हुई है।
श्योपुर - मीणा समुदाय का वोट बैंक मजबूत है, इसलिए बसपा-भाजपा इसी समुदाय का उम्मीदवार तलाश रही हैं।
दिमनी - क्षत्रियों का गढ़। बसपा मौजूदा विधायक का टिकट काटकर किसी क्षत्रिय को टिकट देेगी। भाजपा भी क्षत्रिय तलाश रही।
मुरैना - बसपा 1704 मत से हारी थी। इस बार एससी-एसटी की जातीय हिंसा का केंद्र मुरैना था। एससी वोटर ज्यादा है, बसपा मजबूत हुई है।
ग्वालियर - ग्रामीण, कोलारस, पोहरी में बसपा की नजर भाजपा व कांग्रेस के असंतुष्टों पर है। बागियों को टिकट दिए तो रोचक मुकाबला होगा। 
मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !