बीमा कराने से पहले ध्यान देने योग्य बातें, ताकि क्लेम रिजेक्ट ना हो

हम हमारे परिवार की सुरक्षा के लिए बीमा कराते हैं, लेकिन कई बार बीमा कराते वक्त हमारी ही कुछ गलतियां पूरी मेहनत पर पानी फेर देती है और आखिरी में पछताने के अलावा कुछ नहीं रह जाता। दरअसल, बीमा (Insurance)  कराते समय लोग फॉर्म भरने के दौरान ही कुछ ऐसी मामूली गलती कर बैठते हैं, कि कई मामले में क्लेम तक रिजेक्ट(claim rejection)  हो जाता है। लेकिन अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो इस तरह की परेशानी से बचा जा सकता है, लेकिन कैसे , जानिए यहां।

जाहिर है इस खबर को पढऩे के बाद आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा, कि आखिर किस गलती के कारण ये दावे खारिज हो जाते हैं। पहले तो हम आपको ये बता दें कि इरडा (Insurance Regulatory Authority IRDA) ने ही हाल ही में क्लेम रिजेक्शन (claim rejection)  के आंकड़े जारी किए हैं। जिसमें बताया गया है कि पिछले वित्त वर्ष में जहां एलआईसी ने 0.58 फीसदी दावे रिजेक्ट किए, वहीं निजी कंपनियों ने 0.97 फीसदी दावे रिजेक्ट किए हैं। हर साल बीमा कंपनियों के पास लाखों दावे आते हैं। इरडा की रिपोर्ट से पता चला है कि ये दावे लोगों की मामूली सी गलती के कारण रिजेक्ट होते हैं।

बीमा कराते समय बीमारी की जानकारी छुपाई तो क्या होगा

बीमा कंपनी आपकी सेहत की सही और पूरी जानकारी चाहती हैं, लेकिन लोग अपनी बीमारी के बारे में जानकारी छुपा जाते हैं। इस बात को आमतौर पर लोग मामूली या बताना जरूरी नहीं समझते , जिस कारण उनका क्लेम रिजेक्ट हो जाता है। वैसा ऐसा लोग अक्सर प्रीमियम बचाने के लिए करते हैं। अगर आपकी बीमारी बड़ी है तो बीमा कंपनी बीमा देती है, लेकिन ज्यादा प्रीमियम (insurance premiums) के साथ।

बीमा फार्म में आय की गलत जानकारी भर दी तो क्या होगा

बीमा पॉलिसी (insurance policy) लेते वक्त अपने काम की सही जानकारी फॉर्म में भरना जरूरी है। खासतौर पर सैलरी की जानकारी तो सटीक होनी चाहिए। कई बार लोग ज्यादा वैल्यू का बीमा लेने के लिए अपनी इंकम की गलत जानकारी दे देते हैं। इसमें कंपनी का तो कुछ नहीं जाता, लेकिन क्लेम लेने की नौबत आती है, तो आपकी ये छोटी सी भूल क्लेम न मिलने का बड़ा कारण बन जाती है।

पॉलिसी हाथ में आते ही क्या करें

बीमा कराते वक्त कंपनी कई जानकारी मांगती है, जो सही-सही देनी होती है। वरना बाद में क्लेम रिजेक्शन की परेशानी हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि पॉलिसी हाथ में आते ही उसे ध्यान से पढ़ें। अगर कहीं भी लगे कि कमी है, तो आप तुरंत बीमा कंपनी को उसे वापस करते हुए गलती सुधरवा सकते हैं। बता दें कि बीमा कंपनी 15 दिन का फ्री लुक पीरियड देती हैं। इन 15 दिनों में लोग गलतियां सुधरवा सकते हैं और उनके पास बीमा न लेने का भी ऑप्शन होता है।
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