बहरोड़/अलवर। प्राचीन मंदिर के रास्ते में अतिक्रमण कर लिया गया। ग्रामीणों ने शिकायत की, कोर्ट में मामला चला। ग्रामीण जीते, कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए परंतु तहसीलदार ने अतिक्रमण नहीं हटाया। अंतत: महिलाएं लट्ठ लेकर तहसीलदार के दफ्तर पहुंची। उन्हे लगभग फिल्मी स्टाइल में किडनैप करने जैसी स्थिति में अतिक्रमण स्थल पर लाया गया तब कहीं जाकर अतिक्रमण हट सका। कुल मिलाकर कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए एक कानून तोड़ना पड़ा।
दरअसल, भीटेड़ा गांव में बहरोड़-मांढ़ण सड़क पर शीश वाले बाबा का प्राचीन मंदिर है। इसके सामने एक रास्ता है। इस पर लोगों ने कच्चे और पक्के निर्माण कर लिए थे। छह महीने पहले कोर्ट ने यहां से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस दिया। अफसरों ने सिर्फ जुर्माना लगाया। गांववाले लगातार अफसरों से कार्रवाई करने की गुहार लगाते रहे। लेकिन वे सिर्फ तारीख पर तारीख देते रहे। सुनवाई नहीं हुई तो गांव के गुस्साए महिला-पुरुष गुरुवार सुबह लट्ठ लेकर गाड़ियों में सवार होकर तहसीलदार कार्यालय पहुंचे।
तहसीलदार ने टालमटोल की तो भड़क गईं महिलाएं
तहसीलदार बाबूलाल मीणा ने तब भी टालमटोल की तो महिलाएं भड़क गईं। वे लाठियां दिखाते हुए तहसीलदार को बाहर ले आईं। ग्रामीणों के तेवर देख तहसीलदार ने गाड़ी निकलवाई और पटवारी को साथ लेकर उसमें बैठ गए। चालक की जगह पटवारी बैठा तो महिलाओं को शक हो गया कि संभवत: तहसीलदार रास्ते में बचकर निकलना चाहते हैं। यह देख महिलाएं लाठियां लेकर उनकी सरकारी गाड़ी में बैठ गईं और साथ चलने पर अड़ गईं। बाकी महिलाएं दो वाहनों में तहसीलदार के वाहन के आगे और पीछे थीं। इसके बाद गांव में रास्ते से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कराई गई।
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