OMG! भाजपा के सहस्त्रबुद्धे ने कमलनाथ को अत्यंत मूल्यवान बता दिया | MP NEWS

भोपाल। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पर हमला करना चाहते थे परंतु मूल्यवान बता गए। उन्होंने कमलनाथ को 'पुरानी सदी का चांदी का सिक्का' बता दिया। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 'पुरानी शताब्दी के चांदी के सिक्के' काफी मूल्यवान होते हैं। वो प्रचलित चांदी के मूल्य से कहीं ज्यादा पर खरीदे जाते हैं। इतना ही नहीं हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी और धन के अधिपति देवता कुबेर को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले उपायों में भी पुरानी शताब्दी के चांदी के सिक्कों की काफी मांग रहती है। माना जाता है कि यदि माता लक्ष्मी को पुरानी शताब्दी के चांदी के सिक्के अर्पित किए जाएं तो प्रसन्न हो जातीं हैं और धनधान्य के भंडार भर देतीं हैं। 

पहले पढ़िए, क्या कहा विनय सहस्त्रबुद्धे ने

बुधवार को भोपाल में संभागों की मीटिंग लेने पहुंचे सहस्त्रबुद्धे ने मीडिया से बातचीत भी की। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को लेकर उन्होंने कहा कि किसी के घर में धन का अभाव हो जाता है तो वो पुराना जमा धन निकालते हैं, जिसमें चांदी के सिक्के भी होते हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी पुरानी शताब्दी के चांदी के सिक्के हैं, जो साफ करके चमकाने के बाद भी अब बाजार में नहीं चलेंगे।

कितनी होती है पुराने सिक्कों की कीमत

भारत में केवल चांदी ही नहीं किसी भी धातु से बने पुराने सिक्कों की कीमत उनपर अंकित मूल्य से कहीं ज्यादा होती है। खजुराहो में एल्युमीनियम से बने 05 और 10 पैसे के सिक्के 01 डॉलर यानी 65 रुपए तक में बिकते हैं। जहां तक चांदी के सिक्कों की बात है तो इनका महत्व काफी अलग अलग होता है। सिक्का कितना पुराना है और उस पर क्या चिन्ह अंकित हैं। इस बात से उसका मूल्य तय किया जाता है। महारानी विक्टोरिया वाला चांदी का सिक्का वर्तमान में उपलब्ध चांदी के सिक्कों से कम से कम दोगुना मूल्य का होता है। इसके अलावा मुगल काल से पहले के चांदी के सिक्कों की कीमत उन पर बने रहस्यमयी चिन्हों से आंकी जाती है। 

1939 का चांदी का एक रुपया 4 लाख से ज्यादा का बिका

पुराने सिक्कों की अब आॅनलाइन नीलामी होती है और एंटीक का कारोबार करने वाली कई कंपनियां बहुत महंगे दामों में इन्हे खरीदने के लिए लालायित रहतीं हैं। अगर कोई सिक्‍का रेयर मतलब दुर्लभ है तो उसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। सिक्‍कों की खरीद फरोख्‍त करने वाली कंपनियों और एजेंटों के पास ऐसे विशषज्ञ होते हैं जो जांच करके बताते हैं कि वास्‍तव में कोई सिक्‍का कितना पुराना है, रेयर है या फिर कॉमन है। इन्‍हीं विशषज्ञों की मानें तो एंटीक मार्केट सिक्‍कों की कीमतें इस आधार पर तय होती हैं कि कोई सिक्‍का कितनी आसानी से मिल सकता है या फिर इतना दुर्लभ है कि बहुमूल्‍य हो गया है। फरवरी 2016 में जहांगीर के समय का एक सोने का सिक्‍का 1.55 करोड़ रुपए में बिका था। लगभग 400 साल पुराने इस सिक्‍के पर वृश्चिक राशि का चिन्ह बना है। जबकि 1939 का चांदी का एक रुपया 4 लाख से ज्यादा का बिका। इसे भारत का आखिरी शुद्ध चांदी का सिक्का माना जाता है। उसी तरह एक नीलामी में विलियम फोर्थ के 2 मुहर के सेट के एक खरीददार ने 12 लाख रुपए चुकाए थे। यानि जितना पुराना और रेयर उतना ज्‍यादा मंहगा। 
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