जुलानिया से नाराज मप्र के सभी जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा सौंपा | MP NEWS

भोपाल। ग्राम पंचायत सचिवों की एतिहासिक हड़ताल के बाद मप्र के सबसे ताकतवर आईएएस राधेश्याम जुलानिया एक बार फिर जबर्दस्त विरोध का सामना कर रहे हैं। स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर शुरू की गई हड़ताल के बाद एसीएस राधेश्याम जुलानिया के साथ हड़ताली डॉक्टरों की वार्ता हुई और इसी के बाद हड़ताली डॉक्टर भड़क गए। मध्यप्रदेश के सभी जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इधर ग्वालियर से खबर आ रही है कि गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन ने वहां 5 जूनियर डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। इसमें डॉ. अनिल शर्मा, दारा सिंह, शैलेंद्र धाकड़, श्रीकांत और योगेंद्र शामिल हैं। इसके साथ ही दो दर्जन से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों को शोकॉज नोटिस दिया गया है। कॉलेज के डीन एसएन आयंगर ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।

मध्य प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ सोमवार से हड़ताल पर है। ये लोग स्टायपेंड बढ़ाने सहित अन्य मांग कर रहे हैं। सोमवार को एसीएस राधेश्याम जुलानिया के साथ दोनों पक्षों की बातचीत हुई थी, जो नाकाम रही। उसके बाद सरकार ने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर्स पर एस्मा लगा दिया था। एस्मा लगते ही आज सुबह जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन की बैठक हुई जिसमें सामूहिक इस्तीफे का फैसला लिया गया। फौरन ही गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया और हॉस्टल खाली करना शुरू कर दिया।

मध्यप्रदेश के अस्पतालों में त्राहि-त्राहि
भोपाल के हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में हड़ताल के दूसरे दिन भी मरीजों की फजीहत हो रही है। सोमवार को जूनियर डॉक्टर्स और पैरामेडिकल कर्मचारियों द्वारा ड्यूटी का बहिष्कार करने के बाद दोनों अस्पतालों में भर्ती 60 मरीजों के रूटीन ऑपरेशन टाल दिए गए। पैरामेडिकल स्टाफ नहीं होने के कारण हड्‌डी और सर्जरी डिपार्टमेंट के वार्डों में भर्ती तमाम मरीजों की ड्रेसिंग तक नहीं हुई। हमीदिया अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती 35 और सुल्तानिया अस्पताल में 25 मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए। जबकि सर्जरी प्रोटोकॉल के तहत इन मरीजों का खाना रविवार शाम से ही बंद कर दिया गया था।

ग्वालियर के जेएएच में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। इस कारण की व्यवस्थाएं गड़बड़ा गईं। ओपीडी में दोपहर 12 बजे तक मरीजों के प्लास्टर नहीं हुए। जूनियर डॉक्टरों के वार्ड में न पहुंचने के कारण सीनियर डॉक्टरों ने मोर्चा संभाला तो ओपीडी में उनके लिए मरीज इंतजार करते रहे। वहीं सेंट्रल पैथोलॉजी लैब में जांच के लिए पहुंचे कमलेश की 4 साल की बेटी दीप्ति को लौटा दिया गया। सोमवार को ओपीडी 2250 रही लेकिन दोपहर 2 बजे तक सिर्फ 70 मरीज ही भर्ती हुए।

इंदौर एमवायएच में अस्पताल प्रबंधन ने स्थिति से निपटने के लिए निजी नर्सिंग कॉलेज की मदद ली है। अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ने बताया सुबह 150 नर्सों की ड्यूटी रहती है, लेकिन उनमें से 120 ने ड्यूटी की। दोपहर और शाम को परेशानी आई, लेकिन हमने निजी नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं की ड्यूटी लगा दी है। उधर, सोमवार को ओपीडी में 2000 मरीज इलाज करवाने पहुंचे, जबकि 85 मरीज भर्ती हुए।
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