सुप्रीम कोर्ट की मानो, मिटा दो ताजमहल ! | EDITORIAL by Rakesh Dubey

ताजमहल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, ताज को सरंक्षण दो या बंद कर दो या ध्वस्त कर दो। सुप्रीम कोर्ट ने यह तल्खी दुखी होकर दिखाई है। वैसे भी मोहब्बत की निशानी को मिटाने में उत्तर प्रदेश के राजनेता भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कोई एक पखवाड़े पहले उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मंत्री आजम खान ने इस मामले को एक नये रंग में रंगते हुए मुख्यमंत्री आदित्य नाथ से पहला हथौड़ा चलाने की मांग की है। आजम खान ने इस तोड़-फोड़ में अपने साथ मुसलमानों को शामिल करने की बात कही है। यह राजनीति का सबसे घटिया रंग है। जो आम बोलचाल की भाषा में बंटवारे का रंग कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट का रंग दुःख का क्षोभ का है।

वैसे भारी वायू प्रदूषण की वजह से संगमरमर से बनी इस इमारत का सफेद रंग अब हरे रंग में बदल रहा है। नाराज सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि 'ताजमहल को संरक्षण दिया जाए या बंद या ज़मींदोज़ कर दिया जाए। 

सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगते हुए पूछा कि ताजमहल को काई व कीड़ा-मकोड़े (इंसेक्ट) कैसे नुकसान पहुंचा सकते है। कोर्ट ने कहा कि कोई समझना नहीं चाहता कि ताजमहल में समस्या है? कोर्ट ने पुरातत्व विभाग से पूछा है कि क्या काई के पास पंख होते है जो उड़कर ताज़महल पर जा कर बैठ जाती है। इससे पहले 9 मई को सु्प्रीम कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव की स्थिति को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) को भी आड़े हाथों लिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर ताजमहल को बचाना है तो केंद्र सरकार को एएसआई की जगह दूसरे विकल्प की तलाश करनी चाहिए। 

कहने को ताजमहल को अपने पुराने रूप में वापस लाने के लिए समय-समय पर कई तरह की कोशिशों को अंजाम दिया गया। अब तक कोई भी कोशिश इतनी कारगर सिद्ध नहीं हुई है जिससे ताजमहल की ख़ूबसूरती को लौटाया जा सके। ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर वो कौन सी वजहें हैं जो ताजमहल की दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार हैं। 2015 में भारत और अमरीकी शोधार्थियों ने ताजमहल के प्रदूषण के कारणों की जांच करने के लिए एक शोध किया था जिसके नतीज़े एक प्रतिष्ठित जर्नल एनवॉयर्नमेंटल साइंस और टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुए थे। इन नतीजों में कहा गया था कि "ताजमहल के रंग बदलने की वजह पार्टिकुलेट मैटर हैं जिससे दिल्ली और गंगा के मैदानी भागों में स्थित तमाम दूसरे शहर भी जूझ रहे हैं। इसके अलावा कूड़ा जलाए जाने की वजह से जो धुआं और राख हवा में उड़ती है, वह उड़कर ताजमहल पर जाकर बैठ जाती है जिससे उसके रंग में अंतर आता है। 

2013 में भी ऐसी ख़बरें आई थीं कि ताजमहल के रंग में पीलापन आ रहा है, अब उसके रंग में हरापन आने की बात की जा रही है। अगर इसकी वजहों की बात करें तो आगरा में नगरनिगम का सॉलिड वेस्ट जलाया जाना एक मुख्य वजह है। इसके साथ ही ताजमहल के आसपास काफ़ी बड़ी संख्या में इंडस्ट्रीज़ भी हैं। इसके अलावा जब दिल्ली से पुरानी गाड़ियों को प्रतिबंधित किया जाता है तो ये गाड़ियां इन शहरों में ही पहुंचती हैं जिनकी वजह से आगरा के वायू प्रदूषण का स्तर काफ़ी बढ़ा हुआ है।"

इसे रोकने की कोशिश कोई करना नहीं चाहता तो बेहतर सुप्रीम कोर्ट की मान ले। नही तो राजनेता इसे राजनीति का मुद्दा बनाकर प्यार की निशानी को किसी दिन नफरत की निशानी में बदल देंगे।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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