नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ने प्यार की रक्षा में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्यार किसी भी व्यक्ति का निजी विषय होता है और यह उसकी आजादी से जुड़ा है। लव मैरिज के लिए भाग जाना गलत नहीं है। और इसके कारण हुई अनुपस्थिति को अनुशासनहीनता नहीं कहा जा सकता। बता दें कि तिरुवनंतपुरम के सीएचएमएम (CHMM) कॉलेज फॉर एडवांस्ड स्टडीज में बीबीए के दो स्टूडेंट्स के प्रेम संबंध पर उनके मां-बाप और कॉलेज प्रबंधन ने एतराज जताया था। प्रेमी युगल अपना प्यार बचाने के लिए भाग गए तो कॉलेज ने उन्हे निष्कासित कर दिया।
प्यार व्यक्ति की आजादी से जुड़ा है: हाईकोर्ट
इसके बाद इस प्रेमी युगल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस केस का फैसला सुनाते हुए जस्टिस मोहम्मद मुश्ताक ने कहा कि प्यार अंधा होता है और यह एक प्राकृतिक मानवीय भावना है। साथ ही यह किसी का भी निजी मामला है और उसकी आजादी से जुड़ा है। इस केस के लिए डाली गई याचिका में सवाल उठाया गया था कि प्यार एक आजादी है या बंधन?
लव मैरिज के लिए अनुपस्थित होना अनुशासनहीनता नहीं: हाईकोर्ट
जस्टिस ने आगे कहा कि प्रेम संबंध के कारण भाग जाने के बाद कॉलेज की ओर से इसे अनुशासनहीनता कहा गया है। ये मैनेजमेंट में बैठे लोगों की निजी सोच हो सकती है लेकिन कानून के तहत यह किसी भी इंसान का निजी फैसला है। एक पुरुष को महिला के साथ रिश्ता उन दोनों की मर्जी पर निर्भर करता है और संविधान में इसकी पूरी आजादी व्यक्ति विशेष को दी गई है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कॉलेज को आदेश दिया कि लड़की को आगे की पढ़ाई पूरी करने की अनुमति दी जाए और लड़के के सर्टिफिकेट भी दिए जाएं।
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