SDOP ने ग्वालियर हाईकोर्ट में किया हंगामा, जज को दी धमकी

शिवपुरी। वैसे तो पुलिस अपनी गुण्डागिर्दी और बदसलूकी के लिए सुर्खियों में रहती है। परंतु यहां तो पुलिस के एक एसडीओपी ने हाईकोर्ट के मजिस्ट्रेट से ही अभ्रदता करते हुए देख लेने की धमकी दे डाली। इस दौरान कोर्ट में बकीलों ने एसडीओपी को रोकना चाहा। परंतु एसडीओपी ने बकीलों को ही धक्का दे डाला। इस मामले के बाद माननीय न्यायमूर्ति ने तत्काल डीआईजी मनोहर वर्मा और एसपी नवनीत भसीन को तलब किया। 

जानकारी के अनुसार जिले के करैरा में पदस्थ एसडीओपी बीपी तिवारी को वर्ष 2011 में पुलिस के एक एसआई और आरक्षक द्वारा फर्जी एनकाउंटर के मामले में सुनवाई चल रही थी। हाईकोर्ट से इस मामले में आरोपीयों को राहत मिल गई थी। लेकिन शासन ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर कर दी और केस को री ओपन करा दिया।  

सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। इस मामले में आरोपी एसआई राजबीर सिंह गुर्जर ने एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका दायर की तो हाईकोर्ट ने डायरी मंगा ली। डायरी में कई कमियां होने के साथ-साथ काट-छांट की गई थी। डायरी में हुई लापरवाही को लेकर कोर्ट ने करैरा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सबाल उठाए थे। 

इनका कहना है-
एक केस की सुनवाई के दौरान केस की जांच में पुलिस द्वारा की जाने वाले लापरवाही पर जैसे ही कोर्ट ने टिप्पणी की, पीछे बैठे बीपी तिवारी उठे और बोले कि आपने मेरी तौहीन की है। अभी तक चुप हूं,लेकिन अब में देख लूंगा। बीपी तिवारी का रवैया इतना आक्रामक था कि बार काउंसिल के सदस्यों ने उन्हें रोकना चाहा,लेकिन वह जोर-जोर से चिल्लाते रहे। उन्होने वरिष्ठ सदस्य डीआर शर्मा,प्रदीप कटारे और कोर्ट पीएसओ को भी धक्का दिया। वह लगातार कह रहे थे कि अब तक चुप रहे लेकिन अब एक्शन लूंगा। कोर्ट ने सरकारी वकील प्रमोद पचौरी को निर्देशित किया कि बीपी शर्मा को सुनवाई पूरी होने तक अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय में ले जाया जाए। बीपी शर्मा का कृत्य से कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंची है। यह कोर्ट की अवमानना है। कोर्ट आदेशित करता है कि शुक्रवार को इस केस की प्राािमिकता से लिस्ट किया जाए। जिसमें यह तय हो सके कि बीपी तिवारी का कृत्य माफी देने योग्य नही है। 
जीएस अहलूवालिया,जज 

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