भोपाल। आरएसएस चीफ मोहन भागवत सहित भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं के समान्य संत भय्यूजी महाराज के सुसाइड करते ही शिवराज सिंह सरकार ने उनके प्रतिद्वंदी बाबा अखिलेश्वरानंद को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया। सरकार के इस उतावलेपन के कारण एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया। स्वामी अखिलेश्वरानंद अभी तक मध्य प्रदेश गोसंरक्षण बोर्ड के अध्यक्ष थे। अब तक उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। बता दें कि भय्यूजी महाराज ने राज्यमंत्री का दर्जा ठुकरा दिया था। दिग्विजय सिंह का दावा है कि वो नर्मदा नदी में चल रहे अवैध उत्खनन विवाद के कारण तनाव में थे।
स्वामी अखिलेश्वरानंद के बारे में बताया जा रहा है कि राज्य मंत्री के दर्जे से वह खुश नहीं थे, जिसके बाद उनकी पदोन्नति की गई है। वहीं, मंगलवार को जब भय्यूजी महाराज के सुसाइड की खबर आई तो अखिलेश्वरानंद ने इस पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने भय्यूजी महाराज द्वारा आत्महत्या के पीछे डिप्रेशन की वजह को उनके आध्यात्मिक जीवन की कमजोरी बता दिया।
अखिलेश्वरानंद ने मौत के बाद भय्यूजी पर सवाल उठाए
अखिलेश्वरानंद ने अपने ट्वीट में लिखा, 'आध्यात्मिक जीवन जीने वाला, अध्यात्म साधनारत व्यक्ति के जीवन में कभी भी अवसाद उत्पन्न होता ही नहीं, वह अपराध कर ही नहीं सकता, आत्म हत्या जैसा कृत्य आध्यात्मिक पुरुष कर ही नहीं सकता। भैय्यू जी महाराज के आत्मघाती निर्णय ने अध्यात्म पर रिसर्च करने को विवश कर दिया।
इससे पहले बीते अप्रैल में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा देने का फैसला किया था, तब भी अखिलेश्वरानंद की नाराजगी की खबरें सामने आई थीं। दरअसल, शिवराज सिंह ने जिन पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा देने का निर्णय लिया था, उनमें कम्यूटर बाबा के अलावा भय्यूजी महाराज का भी नाम था। हालांकि, भय्यूजी महाराज ने ये पद ठुकरा दिया था।
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