भोपाल। यूं तो सब जानते हैं कि दिग्विजय सिंह ने समन्वय समिति के अध्यक्ष का पद संगठन में समन्वय के लिए स्वीकार नहीं किया लेकिन फिर भी इन दिनों कांग्रेसी दिग्गज दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि 'हम साथ-साथ हैं।' कमलनाथ ने भी दावा किया था कि यदि उन्हे कांग्रेस की कमान दी जाती है तो पार्टी में गुटबाजी खत्म हो जाएगी परंतु ये देखिए, ये रही गुटबाजी और वो भी खुल्लम-खुल्ला, उच्चस्तर पर। मध्यप्रदेश विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष एवं विंध्य के राजा अजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस का नेता ही नहीं मानते।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह इन दिनों न्याय यात्रा पर है। शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ यह यात्रा अरुण यादव के समय शुरू की गई थी। कमलनाथ की नियुक्ति होते ही कुछ दिनों के लिए स्थगित की गई और फिर शुरू कर दी गई है। सिंह और सिंधिया के बीच खानदानी नफरत तो सभी जानते हैं लेकिन पिछले दिनों इन नफरत के बगीचे में प्यार के फूल खिलते दिखाई दिए थे। दोनों एक दूसरे के नजदीक आए थे लेकिन अब लगता है एक बार फिर रार और दरार बढ़ गई है। न्याय यात्रा के वाहन, पोस्टर और विज्ञापनों पर कांग्रेस के हर नेता का फोटो है। यहां तक कि कांग्रेस के नवनियुक्त चारों कार्यकारी अध्यक्षों के फोटो भी हैं परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए इसमें कोई स्थान नहीं है।
अजय सिंह की अपनी रणनीति
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने अपनी कांग्रेस बनाई है जिसमें कांतिलाल भूरिया और अरुण यादव को तो सम्मानजनक स्थान दिया गया है परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया इस कांग्रेस का हिस्सा नहीं हैं। कोई उंगली ना उठा पाए इसलिए दिग्विजय सिंह भी नहीं है लेकिन यह बताने की जरूरत नहीं कि अजय सिंह के नाम का अर्थ है दिग्विजय सिंह का आशीर्वाद। एक जमाने में अर्जुन सिंह के आशीर्वाद से दिग्विजय सिंह अचानक सीएम बन गए थे। इस बार शायद अजय सिंह की रणनीति है कि वो दिग्विजय सिंह के आशीर्वाद से अचानक सीएम बन जाएंगे।
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