भोपाल। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का का कहना है कि सरकार किसान आंदोलन को हिंसक बनाना चाह रही है। उन्होंने 10 जून को दोपहर दो बजे तक किसानों की मांगों के हित में भारत बंद का ऐलान किया। इसके समर्थन में देशभर के छह लाख गांव बंद रहेंगे। साथ ही व्यापारियों से अपील की है कि वह भी दोपहर दो बजे तक अन्नदाता के समर्थन में अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखें। अगर मेरी गिरफ्तारी हुई तो गुरनाम सिंह चंडूरी हरियाणा वाले मेरी जगह आंदोलन को संभालेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार ये कहकर कि ये किसानों का आन्दोलन नहीं, बल्कि कांग्रेस का आन्दोलन है, 4.5 करोड़ किसानों का अपमान कर रही है। कक्काजी ने कहा हम अहिंसक और शांतिपूर्ण बंद कर रहे हैं।
शिवराज सिंह बांड भरें, उनके 12 मंत्री दागी
कक्काजी ने किसानों से मुचलके भरवाए जाने पर कहा बॉन्ड शिवराज भरें, क्योंकि उनके बारह मंत्रियों पर मामले दर्ज हैं। मंदसौर गोलीकांड में जैन आयोग की रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं आई। आयोग की रिपोर्ट सीएम हाउस में तैयार हुई है। उन्होंने सरकार पर लगाते हुए कहा सरकार आंदोलन को हिंसक बनाने का काम कर रही है, किसान शांति पूर्वक आंदोलन करना चाहते है।
घोषणावीर हैं सीएम शिवराज
6 हजार घोषणाएं की हैं और अमेरिका से बढ़िया सड़कें बता दीं हों, उनकी बातों का क्या असर माना जाए। ऐसी सरकार कहीं नहीं देखी, अब तक 4 किसानों की गोली से मौत हुई, उसकी कोई जांच रिपोर्ट नहीं आई। एक आयोग की रिपोर्ट सीएम हाउस में तैयार कर ली गई, लेकिन उसे जनता के सामने नहीं लाया गया है। यही वजहें रहीं कि हमें फिर से आंदोलन करना पड़ा।
पुलिस की निगरानी से भड़केंगे किसान
कक्काजी ने कहा पुलिस की निगरानी में दूध सब्जी मंडी में पहुचाने से किसान और भड़केंगे। वहीं, किसान आंदोलन को कांग्रेस के आंदोलन बताने पर कहा विपक्ष की भूमिका चौकीदार की होती है, प्रदेश की विपक्षी पार्टी अपना फर्ज निभा रही है, लेकिन ये आंदोलन कांग्रेस का नहीं, किसानों का है। और सरकार इसे कांग्रेस का आंदोलन बताकर किसानों का अपमान कर रही है। अगर हमारा समर्थन करना है तो पार्टी का झंडा, टोपी छोड़कर हमारे साथ आना होगा।
सरकार आंदोलन को पंचर करना चाहती है
कक्काजी ने कहा मध्य प्रदेश में 43 प्रतिशत किसानों की आत्महत्या बढ़ी है। कांग्रेस पर आरोप लगा कर सरकार अपनी जिमेदारी से हट रही है। जनता को परेशान करना हमारा मकसद नहीं है। फर्जी किसानों के द्वारा मुख्यमंत्री हमारा आंदोलन पंचर कर रही है। यह आंदोलन पिछले साल का आधार है। सरकार फर्जी वीडियो जारी कर भ्रमित करने का काम कर रही है।
130 किसान संगठन सभी एकजुट हैं। इस बार हम गांव में रहेंगे, सिर्फ भाजपा समर्थन कुछ संघटन इसमें शामिल नहीं हैं। हम चौपाल लगा कर गांव में सामान देंगे। आंदोलन हिंसक न हो इसलिये हमने पूरी कोशिश की है, लेकिन सरकार की मंशा इसे हिंसक बनाने की लग रही है मुचलके भरवा रही है, लाठी पंजाब से मंगवा रही है।
जो हमारी सेना का सिर काट रहे, हम उनकी शक्कर खा रहे
सरकार पाकिस्तान से शक्कर मंगा रही है, जबकि हमारे किसानों को गन्ना का एक पैसा नहीं मिला। पाकिस्तान हमारे सैनिकों का सिर काट रहा है और वही हमारी मोस्ट फेवरिट नेशन की सूची में टॉप पर शामिल किया है। हमारी सरकार उनकी मंगाई शक्कर देश को खिला रही है।
गांव बंद में किसानों की प्रमुख 4 मांगें
1 - सभी किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ किया जाए।
2 - सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य दिया जाए।
3 - सभी किसानों को 55 साल की उम्र के बाद पेंशन दी जाए एवं किसानों की आय सुनिश्चित की जाए।
4 - दूध का 65 लीटर एवं फल सब्जी के समर्थन मूल्य घोषित किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए।
गांव बंद पर किसानों के कार्यक्रम
- 1 से 10 जून गांव बंद
- 5 जून को धिक्कार दिवस
- 6 जून को किसान शहादत दिवस
- 8 जून को असहयोग दिवस
- 10 को जून भारत बंद
पुलिस अलर्ट, तीन दिन बाद हिंसा होने के संकेत
बता दें पिछले साल हुए किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के बाद इस साल पुलिस चौकन्नी है। एसएएफ की 87 बटालियन और हर जिलों में अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है। आंदोलन के पहले दिन फलों, सब्जियों और दूध की सप्लाई कमजोर हो गई है। किसान आंदोलन में तीन दिन बाद हिंसा होने का इंटेलिजेंस को इनपुट मिला है। इंटेलिजेंस आईजी मकरंद देउस्कर ने कहा कि जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता है वैसे-वैसे स्थितियां बदलेंगी। हाईवे से सटे हुए गांव के किसान अचानक एकजुट होकर कर उग्र प्रदर्शन सकते हैं।
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