मप्र में जिसका मजाक उड़ाया गया, उसी दिव्यांग ने इंग्लिश चैनल पार कर रिकॉर्ड बनाया

ग्वालियर। 2017 में मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के खेल विभाग के अफसरों के सामने 75 प्रतिशत तक दिव्यांग सत्येन्द्र सिंह लोहिया खड़ा था। वो 34 किलोमीटर लम्बा इंग्लिश चैनल पार करना चाहता था। वो चाहता था कि मप्र सरकार उसकी मदद करे लेकिन अधिकारियों ने ना केवल इससे इंकार किया बल्कि उसका मजाक भी उड़ाया। चुनौती दी कि पहले भोपाल का तालाब तो पार करके दिखाओ। आज उसी दिव्यांग दिव्यांग सत्येन्द्र सिंह लोहिया ने 12 घंटे 26 मिनट में 34 किलोमीटर लंबा इंग्लिश चैनल पार कर रिकॉर्ड बनाया है। 

इंटरनेशनल पैरा स्विमर सत्येंद्र ने रिले की तर्ज पर हुई इस प्रतियोगिता में उनकी टीम में भारत के तीन अन्य तैराक थे। महाराष्ट्र के चेतन राउत, बंगाल के रीमो शाह और राजस्थान के जगदीश चन्द्र के रिले की तर्ज पर तैराकी कर इंग्लिश चैनल पार किया। गौरतलब है कि सत्येन्द्र पहले ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने 75 फीसदी दिव्यांग होने के बाद भी ये उपलब्धि पाई है। 

सत्येन्द्र सिंह लोहिया का 2017 में दर्ज हुआ रिकॉर्ड

सत्येन्द्र और उनके साथी इंग्लिश चैनल पार करने वाले एशिया के पहले दिव्यांग बन गए हैं। विक्रम अवॉर्डी सत्येन्द्र अब तक कई तैराकी स्पर्धाओं में 16 मैडल जीत चुके हैं। 2017 में पैरा स्वीमर सत्येन्द्र ने अरब सागर में 36 किलोमीटर तैरकर इतिहास रचा था। उन्होंने 5 घंटे 42 मिनट में इस दूरी को पार किया था। कलकत्ता में 2009 में सत्येन्द्र ने पहला मैडल हासिल किया था। वह भारत के पहले ऐसे दिव्यांग है जो 75 फीसदी प्रभावित होने के बाद भी 36 किमी की तैराकी कम समय में पूरी कर पाए। टीम के साथ तैराकी के कोच और दिव्यांग तैराकों के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच तैयार करने वाले इंटर नेशनल स्विमिंग ग्वालियर निवासी कोच वीके भी दबास भी गए हैं।

सत्येन्द्र सिंह लोहिया को लोग भी ताने मारते थे

सत्येन्द्र बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही ये ताना मिलता था कि ये तो विकलांग है। ये जीवन में कुछ नहीं कर सकता। परिवार के लिए ये बोझ है। इस ताने को सुनकर उनमें संघर्ष करने की ताकत पनपी। मैंने तैराकी को अपना पैशन बनाया और 2009 में कलकत्ता में पहला मैडल जीता। उसके बाद से अब तक मैं 19 मैडल नेशनल और 4 मैडल इंटरनेशनल कांपिटीशन में जीत चुका हूं। 2016 के पैरा ओलंपिक में क्वालीफाई राउंड के लिए कनाडा भी गया लेकिन वहां किन्हीं कारणों वश क्वालीफाई नहीं कर पाया।

सरकारी लापरवाही के कारण हुए थे दिव्यांग

सत्येंद्र बचपन से ही दिव्यांग हैं। जब वह 15 दिन के थे उन्होंने ग्लूकोज ड्रिप के रिएक्शन के चलते अपने पैर खो दिेए। बचपन से ही तैराकी का शौक था, लेकिन दिव्यांगता के चलते शुरुआती दौर में उन्हें खासी समस्याओं का सामना करना पड़ा। सत्येंद्र ने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और गांव की ही बैसली नदी में तैराकी करने लगे। जिसके बाद तैराकी उनका पैशन बन गया और आज उसी तैराकी ने उन्हें यह मुकाम दिलाया।

शिवराज सरकार ने दुत्कारा था, जलसेना ने मदद की

इंग्लिश चैनल तैरकर पार करने की बात जब उन्होंने अप्रैल 2017 में भोपाल में खेल विभाग से कही तो उन्हें कहा गया कि पहले बड़े तालाब में तैरकर दिखाओ। इस बात से सत्येन्द्र यहां से निराश हो गए। तब उन्होंने महाराष्ट्र के अरब सागर में तैरने की तैयारी की। इसके लिए उन्होंने नेवी से स्पेशल परमिशन ली।

अब सीएम शिवराज ने की तारीफ

सीएम शिवराज ने ट्वीट करके सत्येन्द्र सिंह की हौसला अफजाई की है। उन्होंने लिखा, "हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति से ज्यादा ऊंचे सपने कभी भी नहीं हो सकते हैं। मध्य प्रदेश के सपूत सतेन्द्र सिंह ने ये साबित कर दिया है। उन्होंने 4 सदस्यीय भारतीय पैरा-स्विमिंग टीम के एक हिस्से के रूप में इंग्लिश चैनल को तैरकर पार कर लिया है। उन्हें और उनकी टीम को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए सबसे हार्दिक बधाई।"
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